दोय बखत नहिं करि सके दिन में करू इकबार मीनिंग Doy Bakhat Nahi Kari Sake Din Me Meaning : Kabir Ke Dohe
दोय बखत नहिं करि सके, दिन में करू इकबार |
कबीर साधु दरश ते, उतरैं भव जल पार ||
Doy Bakhat Nahi Kari sake, Din Me Karu Ikbar,
Kabir Sadhu Darash Te Utare, Bhav Jal Par.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग / अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning/Arth(Bhavarth)
संतों के दर्शन हितकर होते हैं इस सम्बन्ध में कबीर साहेब का कथन है की यदि दिन में दो समय संतजन के दर्शन ना कर सको तो दिन में एक बार ही करना चाहिए। साधू के दर्शन से ही भव सागर से पार हो पाता है। आशय है की संतों के दर्शन बहुत लाभकारी होते हैं, अतः संतों के दर्शन करने चाहिए। इस दोहे में संत कबीर दास जी ने साधु के दर्शन के महत्व को बताया है। वे कहते हैं कि यदि किसी भक्त को साधु के दर्शन दिन में दो बार करने का समय न मिले, तो वह एक बार भी करे। क्योंकि साधु के दर्शन से जीव संसार-सागर से पार उतर जाता है।
इस दोहे का भावार्थ है कि साधु भगवान के भक्त होते हैं। उनके दर्शन से भक्त को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। वह अपने पापों से छुटकारा पाता है और मोक्ष प्राप्त करता है। इसलिए, भक्त को साधु के दर्शन करने का अवसर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
इस दोहे का भावार्थ है कि साधु भगवान के भक्त होते हैं। उनके दर्शन से भक्त को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। वह अपने पापों से छुटकारा पाता है और मोक्ष प्राप्त करता है। इसलिए, भक्त को साधु के दर्शन करने का अवसर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |