मन फूला फूला फिरे कबीर भजन

मन फूला फूला फिरे कबीर भजन


मन फूला फूला फिरे कबीर भजन Man Phula Phula Phiere Kabir Bhajan Lyrics

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे।

माता कहे यह पुत्र हमारा,
बहन कहे बीर मेरा,
भाई कहे यह भुजा हमारी,
नारी कहे नर मेरा।

पैर पकरि के माता रोवे,
बांह पकरि के भाई,
लपटि झपटि के तिरिया रोवे,
हंस अकेला जाई।

जब लग जीवे माता रोवे,
बहन रोवे दस मासा,
तेरह दिन तक तिरिया रोवे,
फिर करे घर वासा।

चार गजी चादर मंगवाई,
चढ़ा काठ की घोड़ी,
चारो कोने अगन लगाई,
फूंक दिया जस होरी।

हाड़ जरे जस बन की लकड़ी,
केश जरे जस घासा,
सोने जैसी काया जरि गई,
कोइ न आयो पासा।

घर की तिरिया ढूंढन लागी,
ढूंढी फिरि चहुं दिशा,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
एक नाम की आशा।

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे।


मन फूला फूला फिरे | कबीर भजन । Man Phoola Phoola Phire Jagat Mein । Kabir Bhajan | Amrita Chaturvedi


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