मनहिं दिया निज सब दिया मन से संग शरीर मीनिंग

मनहिं दिया निज सब दिया मन से संग शरीर मीनिंग Manahi Diya Nij Meaning Kabir Ke Dohe

मनहिं दिया निज सब दिया, मन से संग शरीर।
अब देवे को क्या रहा, यो कथि कहहिं कबीर॥
 
Manahi Diya Nij Sab Diya, Man Se Sang Sharir,
Aub Dev Ko Kya Raha, Yo Kathi Kahahi Kabir.
 
मनहिं दिया निज सब दिया मन से संग शरीर मीनिंग Manahi Diya Nij Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब का कथन है की यदि तुमने अपना मन और सम्पूर्ण शरीर / तन को गुरु को समर्पित कर दिया है।  अब देने को क्या रह गया है ? तुमने गुरु को सब कुछ समर्पित कर दिया है। ऐसा कबीर साहेब कथन देते हैं। तन और मन अपने मन को ईश्वर को समर्पित कर दो तभी भक्ति सम्भव हो पाती है। कबीर साहेब के इस दोहे का भावार्थ यही है कि यदि व्यक्ति ने अपना मन गुरु को समर्पित कर दिया है तो उसने सब कुछ दे दिया है। क्योंकि मन के साथ ही शरीर है, वह अपने आप समर्पित हो गया है। अब देने को कुछ भी नहीं बचा है। कबीर साहेब कहते हैं कि मन ही व्यक्ति का मूल है। मन के माध्यम से ही व्यक्ति अपने विचार और कर्म करता है। जब व्यक्ति अपना मन गुरु को समर्पित कर देता है तो वह अपने विचारों और कर्मों को भी गुरु को समर्पित कर देता है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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