पता नहीं किस रूप में आकर नारायण लिरिक्स Pata Nahi Kis Rup Me
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।
नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
प्रभु कृपा से पाया है,
नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
प्रभु कृपा से पाया है,
झूठे छल प्रपंच में पड़कर,
प्रभु को क्युं बिसराया है,
झूठे छल प्रपंच में पड़कर,
प्रभु को क्युं बिसराया है,
समय हाथ से निकल गया तो,
समय हाथ से निकल गया तो,
सर धुन धुन पछतायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।
झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
घर में आये अतिथि कोई तो,
यथाशक्ति सत्कार करो,
घर में आये अतिथि कोई तो,
यथाशक्ति सत्कार करो,
पता नहीं किस रूप में आकर,
पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जाएगा।
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
साधन तेरा कच्चा है जब तक,
प्रभु पर विश्वास नहीं,
साधन तेरा कच्चा है जब तक,
प्रभु पर विश्वास नहीं,
मंजिल को पाना है क्या,
जब दीपक में प्रकाश नहीं,
मंजिल को पाना है क्या,
जब दीपक में प्रकाश नहीं,
निश्चय है तो भवसागर से,
निश्चय है तो भव सागर से,
बेड़ा पार हो जायेगा।
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
दौलत का अभिमान हैं झूठा,
यह तो आनी जानी है,
दौलत का अभिमान हैं झूठा,
यह तो आनी जानी है,
राजा रंक अनेक हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
राजा रंक अनेक हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
राम नाम प्रिय महामंत्र ही,
राम नाम प्रिय महामंत्र ही,
साथ तुम्हारे जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
मन का मेल छुड़ायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।
नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
प्रभु कृपा से पाया है,
नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
प्रभु कृपा से पाया है,
झूठे छल प्रपंच में पड़कर,
प्रभु को क्युं बिसराया है,
झूठे छल प्रपंच में पड़कर,
प्रभु को क्युं बिसराया है,
समय हाथ से निकल गया तो,
समय हाथ से निकल गया तो,
सर धुन धुन पछतायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।
झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
घर में आये अतिथि कोई तो,
यथाशक्ति सत्कार करो,
घर में आये अतिथि कोई तो,
यथाशक्ति सत्कार करो,
पता नहीं किस रूप में आकर,
पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जाएगा।
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
साधन तेरा कच्चा है जब तक,
प्रभु पर विश्वास नहीं,
साधन तेरा कच्चा है जब तक,
प्रभु पर विश्वास नहीं,
मंजिल को पाना है क्या,
जब दीपक में प्रकाश नहीं,
मंजिल को पाना है क्या,
जब दीपक में प्रकाश नहीं,
निश्चय है तो भवसागर से,
निश्चय है तो भव सागर से,
बेड़ा पार हो जायेगा।
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
दौलत का अभिमान हैं झूठा,
यह तो आनी जानी है,
दौलत का अभिमान हैं झूठा,
यह तो आनी जानी है,
राजा रंक अनेक हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
राजा रंक अनेक हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
राम नाम प्रिय महामंत्र ही,
राम नाम प्रिय महामंत्र ही,
साथ तुम्हारे जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
राम नाम के साबुन से,
मन का मेल छुड़ायेगा।
Pata Nahi Kis Roop Me Aakar Narayan Mil Jayega | Ram Bhajan | पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल
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Author - Saroj Jangir
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