प्रकटव्हे मारग रीति दिखाई लिरिक्स Prakat Vhe Marag Riti Dikhai Bhajan Lyrics
प्रकटव्हे मारग रीति दिखाई,
परमानंद स्वरूप कृपा निधी,
श्रीवल्लभ सुखदाई।
करश्रृंगार गिरिधरनलालको,
जब कर वेणुगहाई,
लेदर्पण सन्मुख ठाडे व्हे,
निरखनिरख मुसकाई।
विविध भांत सामग्री हरिकों,
कर मनुहार लिवाई,
जल अचवाय सुगंध सहित,
मुखबीरी पानखवाई।
करआरती अनोसर पटदे,
बैठे निजगृह आई,
भोजनकर विश्राम छिनक,
ले निजमंडली बुलाई।
करत कृपा निज दैवी जीवनपर,
श्रीमुख वचन सुनाई,
वेणुगीत पुन युगलगीतकी,
रस बरखा बरखाई।
सेवारीति प्रीति व्रजजनकी,
जन हित जग प्रगटाई,
दास शरण हरि वागधीशकी,
चरणरेण निधिपाई।
परमानंद स्वरूप कृपा निधी,
श्रीवल्लभ सुखदाई।
करश्रृंगार गिरिधरनलालको,
जब कर वेणुगहाई,
लेदर्पण सन्मुख ठाडे व्हे,
निरखनिरख मुसकाई।
विविध भांत सामग्री हरिकों,
कर मनुहार लिवाई,
जल अचवाय सुगंध सहित,
मुखबीरी पानखवाई।
करआरती अनोसर पटदे,
बैठे निजगृह आई,
भोजनकर विश्राम छिनक,
ले निजमंडली बुलाई।
करत कृपा निज दैवी जीवनपर,
श्रीमुख वचन सुनाई,
वेणुगीत पुन युगलगीतकी,
रस बरखा बरखाई।
सेवारीति प्रीति व्रजजनकी,
जन हित जग प्रगटाई,
दास शरण हरि वागधीशकी,
चरणरेण निधिपाई।
Marag Reet Dikhai | Mahapabhuji Ki Badhai | Kirtan | Pushtiras
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