लाज घणी आवे मांगण में भजन
लाज घणी आवे मांगण में,
रोज तेरे दरबार में,
लाज घणी आवे मांगण में,
रोज तेरे दरबार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
जद भी मांगू तेरे से,
राजी राजी देव है,
पूछ ना कद मेरे से,
बार-बार क्यूं लेव है,
दातारी ऐसी देखी,
बस तेरे ही दरबार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
पिसा ने पूजे दुनिया,
पिसो ही भगवान है,
पिसा है तो मूर्ख भी,
कहलाए विद्वान है,
पिसा बिन पूछे कोणी कोई,
अपने ही परिवार ने,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
सुना था पिसो,
हाथ को मैल है,
पण इब तो दुनिया में,
पिसा को ही खेल है,
मोल बिना कुछ भी ना मिले,
इस दुनिया के बाजार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
बेटी जद स्यानी होई,
चिंता बहुत सतावे है,
चौखो घर वर मिल जावे,
मां बाप यो चावे है,
बेटा वाला गुण से पहले,
देख बंगला कार ने,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
सोनू तेरी सेवा में ही,
सातों ही सुख पा जाऊं मैं,
मजबूरी में मैया तेरे आगे,
हाथ फैलाऊं मैं,
डरूं हंसी ना हो जावे,
मेरे खुद के ही परिवार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
लाज घणी आवे मांगण में,
रोज तेरे दरबार में,
कांई करूं पैसा के बिण,
इज्जत कोनी संसार में।
लाज घणी आवे माँगण में | | Pahari Mata Bhajan | Nakipur Pahadi Mata Bhajan | Nakipur Dham
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