माई नव दिन की मेहमान लिरिक्स
माई नव दिन की मेहमान,
गवुर बाई आई पावणी,
थारा गरबा म नाचे सारी रात,
गवुर बाई आई पावणी,
देवउं झालरिया घूमी घूमी आज,
गवुर बाई आई पावणी।
दादुर मोर पपिहा बोले,
असी कोयलड़ी कूके डार,
गवुर बाई आई पावणी,
ओ मैया कर सोलह श्रृंगार,
गवुर बाई आई पावणी।
ब्रह्ममा जी नाचे विष्णु जी नाचे,
असा भोले बाबा डमरू बजाय,
गवुर बाई आई पावनी,
थारा गरबा म नाचूं सारी रात।
चंदा भी नाचे सूरज भी नाचे,
असा तारा भी शोर मचाय,
गवुर बाई आई पावनी।
ओ माई कर सोलह श्रृंगार,
गवुर बाई आई पावनी,
माई नव दिन की मेहमान,
गवुर बाई आई पावनी।
#गणगौर भजन गऊर बाई आई पावनी
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