कल भी मन अकेला था आज भी अकेला
आदत बदल गई है, वक्त काटने की, हिम्मत ही नहीं होती, अब दर्द बांटने की। शाम की उदासी में, यादों का मेला है, भीड़ तो बहुत है, पर मन अकेला है। कल भी मन अकेला था, आज भी अकेला है, जाने मेरी किस्मत ने, कैसा खेल खेला है।। ढूंढते हो तुम खुशबू, कागज़ी गुलाबों में, प्यार सिर्फ मिलता है, आजकल किताबों में। रिश्ते-नाते झूठे हैं, स्वार्थ का झमेला है, जाने मेरी किस्मत ने, कैसा खेल खेला है।। जिंदगी के मंडप में, हर खुशी कंवारी है, किससे मांगने जाए, हर कोई भिखारी है। कहकहों की आंखों में, आंसुओं का रेला है, जाने मेरी किस्मत ने, कैसा खेल खेला है।। कल भी मन अकेला था, आज भी अकेला है, जाने मेरी किस्मत ने, कैसा खेल खेला है।।
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आँखें नम कर देगा ये भजन - " कल भी मन अकेला था, आज भी अकेला है " - देवी हेमलता शास्त्री जी ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
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Singer - Devi Hemlata Shastri Ji
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Author - Saroj Jangir
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