प्रीतम प्रीत ही ते पैये
प्रीतम प्रीत ही ते पैये,
प्रीतम प्रीत ही ते पैये,
यद्यपि रूपगुण शील सुघरता,
इन वातन न रीझैये।
सत कुल जन्म करम सुभ,
लक्षण वेदपुराण पढ़ैये,
सत कुल जन्म करम सुभ,
लक्षण वेदपुराण पढ़ैये।
गोविन्द बिना स्नेह सुआ,
लों रसना कहाजु नचैये,
गोविन्द बिना स्नेह सुआ,
लों रसना कहाजु नचैये,
श्री गोविन्द स्वामी,
श्री गोविन्द स्वामी जी की वाणी।
केवल प्रेम ही प्रियतम को,
पाने का एकमात्र मार्ग है।
भले ही आप रूप गुण शील,
तथा सुंदरता से संपन्न हों,
परन्तु इन सब से प्रीतम,
नहीं प्रसन्न होने वाले।
श्री गोविन्द स्वामी कह रहे हैं,
आप उत्तम कुल में जन्में हों,
शुभ कर्म करते हों,
शास्त्रों के ज्ञाता भी हों,
परन्तु प्रेम के बिना,
आपकी जीभ से निकले,
वाक्य व्यर्थ ही हैं,
उससे क्या लाभ।
।। प्रीतम प्रीत ही ते पैये ।। श्री गोविंद स्वामी ।। श्री इंद्रेश जी ।। तलहटी ।। Pritam Preet Hi Te
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