शिखरजी तुम एक बार आकर तो देखो
जन्नत जहां में ही,
नज़र आयेगी,
शिखरजी में एकबार,
आकर तो देखो,
जो कहते है धरती पर,
न मिलते ख़ुदा है,
ज़रा उनको दर्शन,
कराकर तो देखो।
नीले नीले वो अम्बर,
संग संग चले,
उपवन है हरे भरे,
सारी टोंको के तले,
हर एक पग पे हम,
करे वंदना जिनालय की,
बदलती पल में है जहां,
लकीरें हर अभाग्य की,
जन्मों की प्यास बुझती,
पीके जल वहां,
जन्मों की प्यास बुझती,
पीके जल वहाँ अमृत सा,
गिरिवर की माटी भी रोग मिटाये,
गिरिवर की माटी भी रोग मिटाये,
श्रद्धा से माथे लगाकर तो देखो।
जन्नत जहां में ही,
नज़र आयेगी,
शिखरजी में एक बार,
आकर तो देखो।
ऊंचे है शिखर,
लम्बी लम्बी है डगर,
फिर भी राह है सरल,
उसके दरबार में,
जैनों की सदा बढ़ाये,
शान जग में जो,
दूजा तीर्थ न कही,
ऐसा संसार में,
देवता भी छोड़,
स्वर्ग को रहते है जहां,
देवता भी छोड़ स्वर्ग को,
रहते है जहां चरणों में,
थामे उंगली खुद सावलिया,
भक्तों की अपने,
थामे उंगली खुद सावलिया,
भक्तों की अपने,
स्वर्णकुट पर सर,
झुकाकर तो देखो।
जन्नत जहां में ही,
नज़र आयेगी,
शिखर जी में एक बार,
आकर तो देखो।
शिखर जी तुम एक बार आकर तो देखो ||Shikhar ji tum ak bar aakar to dekho ||Akshay jain 2024New Bhajan
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