तुमको मैया चुनड़ी उढ़ा के नजर उतारूं मैं
तुमको मैया चुनड़ी उढ़ा के नजर उतारूं मैं,
तुम ही बतला दो ना क्या तुझपे वारुं मैं,
तुमको मैया चुनड़ी उढ़ा के नजर उतारू मैं,
तुम ही बतला दो ना क्या तुझपे वारुं मैं।
आज दरबार का क्या कहना है,
आज सिणगार का क्या कहना है,
खुश हुई तबीयत देख के तुझको,
दिल कहे देखते ही रहना है,
तुझे छोड़कर मैया नज़रे अब,
किस पर डालूं मैं,
तुम ही बतला दो ना क्या तुझपे वारुं मैं।
वार दूं हीरे मोती चांद तारे,
वार दूं दुनिया के सारे नजारे,
तुझको बतलाया मैया कोई नहीं,
तेरे आगे फिके हैं ये सारे,
तू जो कहे अपना सब कुछ,
तुझपे न्यौछार दूं मैं,
तुम ही बतला दो ना क्या तुझपे वारुं मैं।
मेरे भी हाथों चुनड़ी चढ़ जाए,
मान मेरा भी थोड़ा बढ़ जाए,
शान से दुनिया को बतलाऊं मैं,
खोटा सिक्का भी यहां पे चल जाए,
कहे पवन अपनी किस्मत को रोज संवारूं मैं,
तुम ही बतला दो ना क्या तुझपे वारुं मैं।
नज़र उतारो माँ पहाड़ी की | Pahari Mata Bhajan | Nakipur Pahadi Mata Bhajan | Nakipur Dham
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