अवधूता युगन युगन हम योगी मीनिंग कबीर के पद Avdhuta Yugan Yugan Ke Hum Yogi Meaning : Kabir Ke Pad Hindi Arth/Bhavarth Sahit
अवधूता युगन युगन हम योगी
आवै ना जाय मिटै ना कबहूं
सबद अनाहत भोगी
सभी ठौर जमात हमरी
सब ही ठौर पर मेला
हम सब माय सब है हम माय
हम है बहुरी अकेला
हम ही सिद्ध समाधि हम ही
हम मौनी हम बोले
रूप सरूप अरूप दिखा के
हम ही हम तो खेलें
कहे कबीर जो सुनो भाई साधो
ना हीं न कोई इच्छा
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूं
खेलूं सहज स्वेच्छा
आवै ना जाय मिटै ना कबहूं
सबद अनाहत भोगी
सभी ठौर जमात हमरी
सब ही ठौर पर मेला
हम सब माय सब है हम माय
हम है बहुरी अकेला
हम ही सिद्ध समाधि हम ही
हम मौनी हम बोले
रूप सरूप अरूप दिखा के
हम ही हम तो खेलें
कहे कबीर जो सुनो भाई साधो
ना हीं न कोई इच्छा
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूं
खेलूं सहज स्वेच्छा
अवधूत कौन है?
कबीर के निर्गुण भजनों में, अवधूत शब्द का प्रयोग एक विशेष प्रकार के योगी या साधक के लिए किया जाता है। ये योगी सांसारिक बंधनों से मुक्त हैं और वे परम सत्य की खोज में हैं। वे अक्सर विरोधाभासों और पहेलियों के माध्यम से अपना ज्ञान व्यक्त करते हैं।
कबीर के निर्गुण भजनों में, अवधूत शब्द का प्रयोग एक विशेष प्रकार के योगी या साधक के लिए किया जाता है। ये योगी सांसारिक बंधनों से मुक्त हैं और वे परम सत्य की खोज में हैं। वे अक्सर विरोधाभासों और पहेलियों के माध्यम से अपना ज्ञान व्यक्त करते हैं।