धीरे-धीरे अंखियां मां खोल रही है
जय मां पहाड़ी,
जय मां पहाड़ी,
धीरे-धीरे अंखियां मां खोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है,
जय मां पहाड़ी,
जय मां पहाड़ी,
धीरे-धीरे अंखियां मां खोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है।
दुनिया के नजारे तो बेजान लगते,
सूरज चंदा कोड़ी के समान लगते,
दुनिया के नजारे तो बेजान लगते,
सूरज चंदा कोड़ी के समान लगते,
आत्मा में अमृत घोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है।
आएगी जरूर मैया आज सामने,
अपने भक्तों का देखो हाथ थामने,
बस मिलने का मौका ये टटोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है।
बनवारी ऐसी तकदीर चाहिए,
आत्मा में ऐसी तस्वीर चाहिए,
ऐसा यह असर दिल पर छोड़ रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है।
जय मां पहाड़ी,
जय मां पहाड़ी,
धीरे-धीरे अंखियां मां खोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है,
जय मां पहाड़ी,
जय मां पहाड़ी,
धीरे-धीरे अंखियां मां खोल रही है,
लगता है मैया कुछ बोल रही है।
महासर माता की मूर्ति बोल रही | Mahasar Mata Bhajan | Garhi Mahasar Mata Bhajan】Garhi Dham | गढ़ी धाम
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