कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं हिंदी मीनिंग Kabir Hamara Koi Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/ Bhavarth Sahit
कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं।पारै पहुंचे नाव ज्यौ, मिलिके बिछुरी जाहिं।
Kabir Hamara Koi Nahi, Hum Kahu Ke Nahi,
Pare Panhuche Naav Jyo, Milike Bichhuri Jahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की जगत में कोई किसी का साथी नहीं है। जैसे एक नांव में बैठे यात्री गंतव्य पर पंहुचने पर एक दूसरे से बिछुड़ जाते हैं, ऐसे में समस्त सांसारिक बंधन छूट जाने हैं। आशय है की संसार में व्यक्ति जन्म लेता है, मर जाता है, कोई सम्बन्ध सदा के लिए नहीं होता है। जीव संसार में अकेला आता है और अकेला ही चला जाता है। अतः व्यक्ति को समस्त झमेलों को छोड़ कर हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए। इस दोहे में संत कबीर दास जी ने संसार की नश्वरता पर प्रकाश डाला है। वे कहते हैं कि इस दुनिया में सब कुछ नश्वर है। चाहे हम किसी से कितने ही गहरे संबंध रखें, एक दिन सब छूट जाएगा।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |