कबीर खालिक जागिया और न जागै कोइ हिंदी मीनिंग Kabir Khalik Jagiya Meaning

कबीर खालिक जागिया और न जागै कोइ हिंदी मीनिंग Kabir Khalik Jagiya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Bhavarth Sahit

कबीर खालिक जागिया, और न जागै कोइ।
कै जगै बिषई विष-भर्‌या, कै दास बंदगी होइ॥
 
Kabir Kahik Jagiya, Aur Na Jage Koi,
Ke Jage Vishai Vish Bharaya, Ke Daas Bandagi Hoi.
 
 
कबीर खालिक जागिया और न जागै कोइ हिंदी मीनिंग Kabir Khalik Jagiya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Bhavarth Sahit

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब का सन्देश है की इस जगत में जाग्रत अवस्था में मेरा स्वामी ही है। दुनिया तो गहरी निंद्रा में सो रही है। इस जगत में सभी माया के भरम की निंद्रा में सो रहे हैं। ऐसी में साधक जो ईश्वर की भक्ति में रत रहता है वह ही जाग्रत अवस्था में है। ईश्वर की भक्ति ही जाग्रत अवस्था है।

Kabir Sahib's message is that in this world, my true master is in the awakened state, while the rest of the world sleeps in deep slumber. In this world, everyone is asleep in the illusion of Maya. In such a scenario, only the practitioner who remains engrossed in devotion to the Divine is truly awake.


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