मैं तो सत्संग सुण के आयी थी भजन
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी भजन
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी,
मेरे राजा ने करी ये लड़ाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी,
मेरे राजा ने करी ये लड़ाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
मेरी दादी ना गई मेरी ताई ना गई,
ओ तूं कौन भगतनी आई,
समझ मेरी बातां ने।
तेरी दादी ना गई तेरी ताई ना गई,
हो उनै व्यर्था जिंदगी गंवाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
मेरी मां ना गई रे,
मेरी चाची ना गई,
ओ तूं कौन भगतनी आई,
समझ मेरी बातां ने।
तेरी मां ना गई हो,
तेरी चाची ना गई,
उन्ने चुगली में जिंदगी गंवाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
मेरी बुआ ना गई रे,
मेरी बेबे ना गई,
ओ तूं कौन भगतनी आई,
समझ मेरी बातां ने।
तेरी बुआ ना गई हो,
तेरी बेबे ना गई,
उनै फैशन में उम्र बिताई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
पिया बाहर लिकड़ के देख लिए,
दरवाजे पर देवी माई
समझ मेरी बातां ने।
ओ गोरी सांची सांच बता दे नै,
या किसने बुलाई देवी माई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
तेरी दादी के लिए,
ना तेरी ताई के लिए,
तेरी मां के लिए ना,
तेरी चाची के लिए,
हो या तो भक्तां खातिर आई,
समझ मेरी बातां नै।
ओ गोरी गैल तेरे में चालूंगा,
ओ गोरी सत्संग के मैं चालूंगा,
हो मैं मन अपने ने डाटूंगा,
हां छोडूंगा सारी रे बुराई,
समझ मेरी बातां नै।
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी,
मेरे राजा ने करी ये लड़ाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी,
मेरे राजा ने करी ये लड़ाई,
समझ मेरी बातां ने,
मैं तो सत्संग सुण के आयी थी।
मैं तो सत्संग सुण कै आई थी | Main To Satsang Sun Ke Aayi Thi | Satsangi Bhajan | Haryanvi Bhajan
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Artist ▸ Kajal
Singer ▸Simran Rathore
Music ▸Kuldeep Mali Aala
Keyboard Player ▸Sachin Kamal
Lyrics & Composer ▸Traditional
सत्संग की महिमा और उसकी शिक्षाओं का जीवन में महत्व इस रचना में गहन भाव से व्यक्त हुआ है, जहाँ एक भक्तिन सत्संग से प्राप्त ज्ञान और भक्ति के प्रकाश को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा लेती है। वह संसार के व्यर्थ के व्यवहारों और भटकावों को छोड़कर सत्संग के मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है, जबकि दुनिया के लोग उसकी भक्ति को समझने में असमर्थ रहते हैं। सत्संग का वह पवित्र वातावरण, जहाँ देवी माँ का आशीर्वाद और सतगुरु की वाणी हृदय को स्पर्श करती है, भक्तिन को सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह रचना दर्शाती है कि सत्संग में प्राप्त सत्संगति ही वह शक्ति है, जो भक्त को सांसारिक मोह और बुराइयों से मुक्त कर प्रभु की ओर ले जाती है।
संसार के लोग दादी, ताई, माँ, चाची या बुआ जैसे रिश्तों में उलझकर चुगली, फैशन और व्यर्थ की दुनियादारी में जीवन गँवा देते हैं, परंतु सत्संग में आने वाली भक्तिन का हृदय प्रभु की भक्ति और सतगुरु की वाणी से जागृत हो जाता है। वह अपने पति को भी समझाती है कि सत्संग का मार्ग ही सच्चा है, जहाँ मन की बुराइयों को डाँटकर और संसार की माया को त्यागकर प्रभु का सान्निध्य प्राप्त होता है। सत्संग के द्वार पर देवी माँ की कृपा और भक्तों के लिए प्रभु का प्रेम सदा बरसता है, जो जीवन को सार्थक बनाता है। जो इस मार्ग पर चलता है, वह न केवल अपने मन को शुद्ध करता है, बल्कि प्रभु की हजूरी में स्थान पाकर सच्चे सुख और मुक्ति का अधिकारी बनता है।
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