મન તું શંકર ભજી લે લિરિક્સ મીનિંગ અર્થ Man Tu Shankar Bhaji Le Meaning Lyrics
नरसिंह मेहता के कृष्ण भजन गुजराती भक्ति साहित्य का अमूल्य रत्न हैं। भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनकी अगाध भक्ति और प्रेम इन भजनों में छलकता है, जो सदियों से दर्शकों के हृदय को छूते रहे हैं, इन्ही के एक भजन के लिरिक्स और हिंदी में अर्थ जान लेते हैं.
મન તું શંકર ભજી લે, મન તું શંકર ભજી લે,
છોડ ને કપટ ભોળાનાથને ભજી લે.
કોણ ચઢાવે ગંગા જમુના, કોણ ચઢાવે દૂધ,
કોણ ચઢાવે બિલ્લી પત્ર, કોણ ચઢાવે ભભૂત.
રાજા ચઢાવે ગંગા જમુના, રૈયત ચઢાવે દૂધ,
બ્રાહ્મણ ચઢાવે બિલ્લી પત્ર, યોગી ચઢાવે ભભૂત.
કોણ માંગે અન્ન ધન, કોણ માંગે પુત્ર,
કોણ માંગે કંચન કાયા, કોણ માંગે રૂપ.
ગરીબ માંગે અન્ન ધન, વાંઝિયા માંગે પુત્ર,
બ્રાહ્મણ માંગે કંચન કાયા, ગુણિકા માંગે રૂપ.
આંકડાનો ભાત બનાવ્યો, ધંતુરાની ભાજી,
પીરસે રાણી પાર્વતી ને જમે ભોળાનાથ.
આંકડો ધંતુરો શિવજી, ભાવના છે ભોગી,
ભણે નરસૈંયો વહાલો, જૂનાગઢનો જોગી.
કોણ ચઢાવે ગંગા જમુના, કોણ ચઢાવે દૂધ,
કોણ ચઢાવે બિલ્લી પત્ર, કોણ ચઢાવે ભભૂત.
રાજા ચઢાવે ગંગા જમુના, રૈયત ચઢાવે દૂધ,
બ્રાહ્મણ ચઢાવે બિલ્લી પત્ર, યોગી ચઢાવે ભભૂત.
કોણ માંગે અન્ન ધન, કોણ માંગે પુત્ર,
કોણ માંગે કંચન કાયા, કોણ માંગે રૂપ.
ગરીબ માંગે અન્ન ધન, વાંઝિયા માંગે પુત્ર,
બ્રાહ્મણ માંગે કંચન કાયા, ગુણિકા માંગે રૂપ.
આંકડાનો ભાત બનાવ્યો, ધંતુરાની ભાજી,
પીરસે રાણી પાર્વતી ને જમે ભોળાનાથ.
આંકડો ધંતુરો શિવજી, ભાવના છે ભોગી,
ભણે નરસૈંયો વહાલો, જૂનાગઢનો જોગી.
Man Tu Shankar Bhaji Le Lyrics
मन तूं शंकर भजी ले,
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने,
कपट भोलानाथने भजी ले।
कौन चढावे गंगा जमुना,
कौन चढावे दूध;
कौन चढावे बिल्ली पत्र,
कौन चढावे भूत ……… १
राजा चढावे गंगा जमुना,
रैयत चढावे दूध;
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र,
योगी चढावे भूत …. २
कौन मांगे अन्न धन,
कौन मांगे पुत्र;
कौन मांगे कंचन काया,
कौन मांगे रूप ……………… ३
गरीब मांगे अन्न धन,
वांझिया मांगे पुत्र;
ब्राह्मण मांगे कंचन काया,
गुणिका मांगे रूप ………. ४
आंकड़ों का भात बनाव्यो,
धंतुरानी की भाजी;
पीरसे राणी पार्वती ने
जमे भोलानाथ …………… ५
आंकड़ो धंतुरो शिवजी,
भावना छे भोगी;
भणे नरसैंयो वहालो,
जूनागढ़नो जोगी
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने,
कपट भोलानाथने भजी ले।
कौन चढावे गंगा जमुना,
कौन चढावे दूध;
कौन चढावे बिल्ली पत्र,
कौन चढावे भूत ……… १
राजा चढावे गंगा जमुना,
रैयत चढावे दूध;
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र,
योगी चढावे भूत …. २
कौन मांगे अन्न धन,
कौन मांगे पुत्र;
कौन मांगे कंचन काया,
कौन मांगे रूप ……………… ३
गरीब मांगे अन्न धन,
वांझिया मांगे पुत्र;
ब्राह्मण मांगे कंचन काया,
गुणिका मांगे रूप ………. ४
आंकड़ों का भात बनाव्यो,
धंतुरानी की भाजी;
पीरसे राणी पार्वती ने
जमे भोलानाथ …………… ५
आंकड़ो धंतुरो शिवजी,
भावना छे भोगी;
भणे नरसैंयो वहालो,
जूनागढ़नो जोगी
मन तूं शंकर भजी ले : मन तू शिव शंकर का सुमिरण कर कर लो, ईश्वर के नाम का सुमिरन करो।
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने कपट भोलानाथने भजी ले: अपने मन को सम्बोधन है की तुम कपट और भोलेनाथ के नाम का सुमिरन कर लो।
कौन चढावे गंगा जमुना : कोन है गंगा जमुना का पवित्र जल चढ़ाते हैं।
कौन चढावे दूध : कौन हैं जो दूध का अभिषेक करता है, दूध को चढ़ाते हैं।
कौन चढावे बिल्ली पत्र : कौन है जो बेल पत्र (बील) के पत्तों को चढ़ाते हैं।
कौन चढावे भूत : कौन है जो भूत प्रेत और ऊपरी शक्ति / अघोड़ी शक्तियों का उपयोग करते हैं।
राजा चढावे गंगा जमुना : राजा गंगा जमुना का पानी चढ़ाते हैं।
रैयत चढावे दूध : साहूकार/भूमिपति शिव जी को दूध चढाते हैं।
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र : ब्राह्मण शिव जी को बिल्व पत्र को चढाते हैं.
योगी चढावे भूत : योगीजन तंत्र आदि की पूजा करके शिव की पूजा करते हैं.
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने कपट भोलानाथने भजी ले: अपने मन को सम्बोधन है की तुम कपट और भोलेनाथ के नाम का सुमिरन कर लो।
कौन चढावे गंगा जमुना : कोन है गंगा जमुना का पवित्र जल चढ़ाते हैं।
कौन चढावे दूध : कौन हैं जो दूध का अभिषेक करता है, दूध को चढ़ाते हैं।
कौन चढावे बिल्ली पत्र : कौन है जो बेल पत्र (बील) के पत्तों को चढ़ाते हैं।
कौन चढावे भूत : कौन है जो भूत प्रेत और ऊपरी शक्ति / अघोड़ी शक्तियों का उपयोग करते हैं।
राजा चढावे गंगा जमुना : राजा गंगा जमुना का पानी चढ़ाते हैं।
रैयत चढावे दूध : साहूकार/भूमिपति शिव जी को दूध चढाते हैं।
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र : ब्राह्मण शिव जी को बिल्व पत्र को चढाते हैं.
योगी चढावे भूत : योगीजन तंत्र आदि की पूजा करके शिव की पूजा करते हैं.
कौन मांगे अन्न धन :कौन व्यक्ति अन्न और धन को मांगते हैं.
कौन मांगे पुत्र : कौन व्यक्ति पुत्र आपसे मांगता है ?
कौन मांगे कंचन काया : कौन है जो आपसे (हे शिव) कंचन काय की मांग करते हैं.
कौन मांगे रूप : कौन व्यक्ति है जो आपसे रंग रूप की चाहना करता है.
गरीब मांगे अन्न धन : गरीब / दरिद्र व्यक्ति आपसे अन्न धन मांगते हैं.
वांझिया मांगे पुत्र : जो निसंतान हैं, बाँझ हैं वे आपसे पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं.
ब्राह्मण मांगे कंचन काया : ब्राह्मण व्यक्ति आपसे सोने जैसी काया/देह की कामना करते हैं.
गुणिका मांगे रूप : स्त्री आपसे रंग रूप की कामना करती है.
आंकड़ों का भात बनाव्यो : आक/मदार का भोजन बनाया है.
धंतुरानी की भाजी : इसके अतिरिक्त आपके लिए धतूरा की भाजी/सब्जी बनाई है.
पीरसे राणी पार्वती ने : रानी भांग को पीसती है.
आंकड़ो धंतुरो शिवजी भावना छे भोगी : आक और धतुरा आपको / शिवजी को अच्छा लगता है.
भणे नरसैंयो वहालो, जूनागढ़नो जोगी : नरसी मेहता कहते हैं, हे मेरे प्रिय भगवान शिव, आप जूनागढ़ के जोगी हैं।
Meaning in English
मन तूं शंकर भजी ले: O mind, chant the name of Shiva Shankar., Chant the name of Shiva Shankar, chant the name of the Lord.)
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने कपट भोलानाथने भजी ले: O mind, chant Shankar, leaving behind deceit, chant the name of Bholenath.
कौन चढावे गंगा जमुना: Who offers Ganges and Yamuna?, कौन चढावे दूध: Who offers milk?
कौन हैं जो दूध का अभिषेक करता है, दूध को चढ़ाते हैं। (Meaning: Who performs abhishek with milk, who offers milk?
कौन चढावे बिल्ली पत्र: Who offers bel leaves? Who offers the leaves of bel tree?
कौन चढावे भूत: Who offers ghosts?, Who uses ghosts and spirits/tantric practices in worship
राजा चढावे गंगा जमुना: The king offers Ganges and Yamuna. The king offers the water of Ganges and Yamuna.)
रैयत चढावे दूध: The merchant offers milk. The merchant/landowner offers milk to Shiva.
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र: The Brahmin offers bel leaves. The Brahmin offers bel leaves to Shiva.
योगी चढावे भूत: The yogi offers ghosts.The yogi worships Shiva through tantric practices.
कौन मांगे अन्न धन: Who asks for food and wealth? Who asks for food and wealth?
कौन मांगे पुत्र: Who asks for a son? Who asks you for a son?
कौन मांगे कंचन काया: Who asks for a golden body? Who asks you (O Shiva) for a golden body?
कौन मांगे रूप: Who asks for beauty? Who desires beauty from you?
गरीब मांगे अन्न धन: The poor ask for food and wealth.
मन तूं शंकर भजी ले छोड ने कपट भोलानाथने भजी ले: O mind, chant Shankar, leaving behind deceit, chant the name of Bholenath.
कौन चढावे गंगा जमुना: Who offers Ganges and Yamuna?, कौन चढावे दूध: Who offers milk?
कौन हैं जो दूध का अभिषेक करता है, दूध को चढ़ाते हैं। (Meaning: Who performs abhishek with milk, who offers milk?
कौन चढावे बिल्ली पत्र: Who offers bel leaves? Who offers the leaves of bel tree?
कौन चढावे भूत: Who offers ghosts?, Who uses ghosts and spirits/tantric practices in worship
राजा चढावे गंगा जमुना: The king offers Ganges and Yamuna. The king offers the water of Ganges and Yamuna.)
रैयत चढावे दूध: The merchant offers milk. The merchant/landowner offers milk to Shiva.
ब्राह्मण चढावे बिल्ली पत्र: The Brahmin offers bel leaves. The Brahmin offers bel leaves to Shiva.
योगी चढावे भूत: The yogi offers ghosts.The yogi worships Shiva through tantric practices.
कौन मांगे अन्न धन: Who asks for food and wealth? Who asks for food and wealth?
कौन मांगे पुत्र: Who asks for a son? Who asks you for a son?
कौन मांगे कंचन काया: Who asks for a golden body? Who asks you (O Shiva) for a golden body?
कौन मांगे रूप: Who asks for beauty? Who desires beauty from you?
गरीब मांगे अन्न धन: The poor ask for food and wealth.
वांझिया मांगे पुत्र: The barren woman asks for a son.
ब्राह्मण मांगे कंचन काया: The Brahmin asks for a golden body.
गुणिका मांगे रूप: The woman asks for beauty.स्त्री आपसे रंग रूप की कामना करती है.
आंकड़ों का भात बनाव्यो: Rice has been cooked from the bark of the madar tree.
धंतुरानी की भाजी: A vegetable of Datura has been made.इसके अतिरिक्त आपके लिए धतूरा की भाजी/सब्जी बनाई है. (Meaning: Additionally, a vegetable of Datura has been made for you
आंकड़ो धंतुरो शिवजी भावना छे भोगी: Madar and Datura are pleasing to you, O Shiva. Madar and Datura are pleasing to you, Shiva.
भणे नरसैंयो वहालो, जूनागढ़नो जोगी: Narasinh Mehta says, O my beloved Lord Shiva, Narasinh Mehta says you are God of Junagadh.
आंकड़ो धंतुरो शिवजी भावना छे भोगी: Madar and Datura are pleasing to you, O Shiva. Madar and Datura are pleasing to you, Shiva.
भणे नरसैंयो वहालो, जूनागढ़नो जोगी: Narasinh Mehta says, O my beloved Lord Shiva, Narasinh Mehta says you are God of Junagadh.
મન તું શંકર ભજીલે || Man tu Shankar Bhaji le ||new mahadev song || Jayesh Ramanuj || Vishal Thakor
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श्री नरसिंह मेहता (1414-1480) 15वीं शताब्दी के विख्यात गुजराती भाषा के कवी हैं जिनकी रचनाओं में भक्ति भाव प्रधान है। गुजराती साहित्य में उनके योगदान के लिए उनको गुजराती भाषा साहित्य का सूरज कहा गया है। भक्ति के अतिरिक्त उनकी रचनाओं में प्रेम और श्रृंगार भी प्रधान है। उनकी रचनाओं में शब्द चयन अत्यंत ही सहज और सरल है जिसके कारण से इसे लोक गायिकी में स्थान दिया गया है। भजनों में उन्होंने श्री कृष्ण जी के भजन लिखे जो आज भी गाये जाते हैं। દેવાધિદેવ મહાદેવની જેમાં સાક્ષાત હાજરી હોય એવા પવિત્ર શ્રાવણ માસમાં શિવજીનું નવા જ અંદાજમાં સોન્ગ અહીંયા આપની સમક્ષ રજુ કરી રહ્યા છીએ.
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