पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे भोले तेरे दर्शन को Parvat Ki Unchi Chadhai Bhajan
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे,
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे।
मैं तो जल भर कलशा लाई रे,
झाड़ों में उलझती आई रे,
सांप बिच्छू ने ऐसी डराई रे,
मेरी गगरी छलकती आई रे,
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे।
मैं तो चंदन केसर लाई रे,
मैं तो चंदन केसर लाई रे,
शमशानों को देख घबराई रे,
भूत प्रेतों ने ऐसी डराई रे,
मेरी केसर बिखरती आई रे,
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे।
मैं तो भंगिया घोट कर लाई रे,
द्वारे नंदी को बैठे पाई रे,
नंदी ने मोहे समझाई रे,
भोले ने समाधि लगाई रे,
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे।
मैं तो हार गुंथ कर लाई रे,
शिव जी के गले पहनाई रे,
भोले ने पलकें उठाई रे,
शिव गौरा के दर्शन पाई रे,
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे,
भोले तेरे दर्शन को आई रे।
शिवरात्रि भजन | पर्वत की ऊँची चढ़ाई रे भोले तेरे दर्शन को आई रे | Sawan Maas Bhajan | Rekha Garg
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Title ▸ Parvat Ki Unchi Chadhai Re Bhole Tere Darshan Ko Aayi Re
Artist ▸ Neelkamal
Singer ▸ Rekha Garg
Music ▸ Kuldeep Mali Aala
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Author - Saroj Jangir
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