साधो भाई अवगत लखियो ना जाई निर्गुण बाणी
साधो भाई अवगत लखियो ना जाई निर्गुण बाणी
शब्दा मारिया मर गया,
शब्दा छोड़या राज,
जीण जिण शब्द विचारिया,
ज्यारा सरिया काज।
कौन जगादे ब्रह्म को,
कौन जगादे जीव,
कौन जगादे शब्द को,
कौन मिलादे पीव।
एक विरह जगादे ब्रह्म को,
विरह जगादे जीव,
यो सेन मिलादे शब्द को,
और सूरत मिलादे पीव।।
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई,
जे लखसी कोई संत सूरवा,
नूर में नूर समाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
जैसे चंद उधव में दरशे,
ईयू सायब सब माई,
दे चश्मा घट भीतर देख्या,
नूर निरंतर माई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
दूर सूं दूर, उरे सूं उरेरा,
हर हिरदा रे माई,
सपने नार गमायो बालक,
पड़ी हैं जबवा वाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
ममता मेटी मिल्यो मोहन सूं,
गुरु से गुरुगम पाई,
कह बन्ना नाथ सुणो भाई साधु,
अब कछु धोखा नाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई,
जे लखसी कोई संत सूरवा,
नूर में नूर समाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
शब्दा छोड़या राज,
जीण जिण शब्द विचारिया,
ज्यारा सरिया काज।
कौन जगादे ब्रह्म को,
कौन जगादे जीव,
कौन जगादे शब्द को,
कौन मिलादे पीव।
एक विरह जगादे ब्रह्म को,
विरह जगादे जीव,
यो सेन मिलादे शब्द को,
और सूरत मिलादे पीव।।
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई,
जे लखसी कोई संत सूरवा,
नूर में नूर समाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
जैसे चंद उधव में दरशे,
ईयू सायब सब माई,
दे चश्मा घट भीतर देख्या,
नूर निरंतर माई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
दूर सूं दूर, उरे सूं उरेरा,
हर हिरदा रे माई,
सपने नार गमायो बालक,
पड़ी हैं जबवा वाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
ममता मेटी मिल्यो मोहन सूं,
गुरु से गुरुगम पाई,
कह बन्ना नाथ सुणो भाई साधु,
अब कछु धोखा नाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई,
जे लखसी कोई संत सूरवा,
नूर में नूर समाई,
साधो भाई अवगत,
लखियो ना जाई।।
वाणी। बन्ना नाथ जी की !! गायक श्री हरलाल सिंह !! साधो भाई अवगत लखयो ना जाई !! bananath ji ki Vanni
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Author - Saroj Jangir
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