आलसी गधे की कहानी Lazy Donkey Motivational Hindi Story

आलसी गधे की कहानी Lazy Donkey Motivational Hindi Story

आलस कभी भी किसी का भला नहीं करता, यह बात हमें गधे और उसके मालिक की इस रोचक कहानी से समझ आती है। आलस सदा ही विनाश और दरिद्रता लाता है. इस कहानी में एक गधे की आलसी प्रवृत्ति और उसके मालिक की चतुराई का वर्णन है, जो हमारे जीवन में भी कई महत्वपूर्ण सबक देती है। आइए, इस कहानी को सरल और रोचक भाषा में पढ़ते हैं।
 
आलसी गधे की कहानी Lazy Donkey Motivational Hindi Story

आलसी गधे की रोचक कहानी

पुरानी बात है, किसी गांव में एक गरीब व्यापारी अपने गधे के साथ रहता था। उसका घर बाजार से दूर था, और हर दिन उसे गधे पर सामान की बोरियां लादकर बाजार जाना पड़ता था। व्यापारी नेक और दयालु इंसान था, जो अपने गधे का बहुत ख्याल रखता था। गधा भी अपने मालिक से प्यार करता था, लेकिन उसमें एक बड़ी कमी थी, वह गधा बेहद आलसी और कामचोर था। गधे को काम करने में बिल्कुल रुचि नहीं थी। उसे बस आराम करना और खाना पसंद था। काम से वह जी चुराता रहता था.

एक दिन व्यापारी को पता चला कि बाजार में नमक की मांग बहुत बढ़ गई है। उसने सोचा कि अब से नमक बेचने का काम शुरू करेगा। जब हाट का दिन आया, तो उसने गधे की पीठ पर नमक की चार भारी बोरियां लाद दीं और उसे लेकर बाजार के लिए निकल पड़ा। व्यापारी जानता था कि गधा आलसी है, इसलिए उसने गधे को चलने के लिए कई बार धक्का भी दिया। भारी बोरी के कारण गधे के कदम लड़खड़ा रहे थे, फिर भी किसी तरह व्यापारी उसे पुल तक ले आया।

बाजार जाने के रास्ते में एक नदी पड़ती थी, जिसे पार करने के लिए पुल का सहारा लेना पड़ता था। जैसे ही गधा पुल पर चढ़ा, उसका पैर फिसल गया, और वह नदी में गिर गया। व्यापारी ने डरते हुए गधे को किसी तरह से बाहर निकाला। नदी में गिरने के कारण गधे की पीठ पर लदा सारा नमक पानी में घुल गया था, जिससे बोरियां हल्की हो गईं और व्यापारी को वापस घर लौटना पड़ा। इस घटना ने गधे को एक नई चाल सीखने का मौका दे दिया।

काम के प्रति आलस और चालाकी करना लंबे समय तक फायदेमंद नहीं होता।

अब गधे ने हर दिन वही चाल चलनी शुरू कर दी। जैसे ही वह पुल पर पहुंचता, वह जानबूझकर नदी में गिर जाता ताकि बोरी का सारा नमक पानी में घुल जाए और उसका वजन कम हो जाए। व्यापारी का लगातार नुकसान हो रहा था, और धीरे-धीरे उसे समझ में आ गया कि यह गधे की चालाकी है।

व्यापारी ने सोचा कि गधे की यह चालाकी को रोकने का एक उपाय किया जाए। एक दिन उसने नमक की जगह गधे की पीठ पर रूई से भरी बोरियां लाद दीं और उसे बाजार की ओर ले गया। गधा अपनी पुरानी आदत के अनुसार पुल पर पहुंचते ही नदी में गिर गया। लेकिन इस बार उसकी योजना उलटी पड़ गई। जैसे ही गधा पानी से बाहर निकला, उसने महसूस किया कि उसकी पीठ पर लदी बोरियां हल्की होने के बजाय और भारी हो गई हैं। पानी में भीगने से रूई का वजन दोगुना हो गया था।

इस घटना से गधे को समझ में आ गया कि उसकी चालाकी इस बार काम नहीं आई। व्यापारी ने उसे लगातार दो-तीन बार ऐसा करने दिया ताकि गधा सबक सीख सके। आखिरकार, गधे ने हार मान ली और उसने समझ लिया कि काम से बचने के लिए चालाकी करना हमेशा कारगर नहीं होता।

काम के प्रति आलस और चालाकी करना लंबे समय तक फायदेमंद नहीं होता।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि काम के प्रति आलस और चालाकी करना लंबे समय तक फायदेमंद नहीं होता। जब हम मेहनत से काम करते हैं, तो अंत में सफलता मिलती है। व्यापारी की सूझबूझ ने गधे को यह सिखाया कि चालाकी से काम बचने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

जैसे गधे ने अपने आलस को छोड़ दिया और जिम्मेदारी निभाई, वैसे ही हमें भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए। कहानी हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी समस्या को समझदारी से हल करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सही सूझबूझ से हर मुश्किल का समाधान संभव है।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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