श्री गंगा अष्टकम्
श्री गंगा अष्टकम् (हिंदी भावार्थ)
श्लोक १:
श्लोक १:
सुढ़ंग-अंग-भांगिनि प्रसंग-संग-शोभिते
भुजंग-छंद-छन्दिनि भुवना-शोभा-वर्धिते
अनंग-भंग-मालिनि विष्णुसेबे-सदारते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। १ ।।
हे माँ गंगा, आप सुघड़ रूप, अंगों की सुंदरता और पवित्र प्रसंगों से शोभित हैं। आपकी धारा भुजंग छंद की गति की भाँति लहराती है और यह सम्पूर्ण भुवन की शोभा को बढ़ाने वाली है। आप काम-वासना का नाश करने वाली हैं और सदा भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर रहती हैं। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक २:
भुजंग-छंद-छन्दिनि भुवना-शोभा-वर्धिते
अनंग-भंग-मालिनि विष्णुसेबे-सदारते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। १ ।।
हे माँ गंगा, आप सुघड़ रूप, अंगों की सुंदरता और पवित्र प्रसंगों से शोभित हैं। आपकी धारा भुजंग छंद की गति की भाँति लहराती है और यह सम्पूर्ण भुवन की शोभा को बढ़ाने वाली है। आप काम-वासना का नाश करने वाली हैं और सदा भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर रहती हैं। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक २:
सुनील-सुढ़ल-जल-नील-अनले-भाषिते
प्रचंड-तांडव-शिव-शीरीशाधारा-प्लाबिते
संचित-संस्थित-कर्म-भस्म-सर्वस्व-कल्पिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। २ ।।
आपके जल का रंग नील है, जो सूर्य की किरणों से झिलमिलाता है। आपकी धारा भगवान शिव के प्रचंड तांडव के समय उनके शीश पर विराजमान रहती है। आप कर्मों के भस्म को पवित्र करती हैं और पापों का सर्वनाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ३:
प्रचंड-तांडव-शिव-शीरीशाधारा-प्लाबिते
संचित-संस्थित-कर्म-भस्म-सर्वस्व-कल्पिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। २ ।।
आपके जल का रंग नील है, जो सूर्य की किरणों से झिलमिलाता है। आपकी धारा भगवान शिव के प्रचंड तांडव के समय उनके शीश पर विराजमान रहती है। आप कर्मों के भस्म को पवित्र करती हैं और पापों का सर्वनाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ३:
आनंद-कंद-कंदरे सुनंद-छंद-छन्दिते
स्वछंद-छंद-छन्दिनि पापिनाम्-गर्व-खंडिते
कल-कल-कल-नादे सकल-ताप-भांजिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ३ ।।
आप आनंद के मूल स्रोत हैं। आपके प्रवाह से हर पापी का अहंकार नष्ट हो जाता है। आपकी कल-कल ध्वनि सभी तापों को हरने वाली है। आप सभी प्रकार के पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ४:
स्वछंद-छंद-छन्दिनि पापिनाम्-गर्व-खंडिते
कल-कल-कल-नादे सकल-ताप-भांजिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ३ ।।
आप आनंद के मूल स्रोत हैं। आपके प्रवाह से हर पापी का अहंकार नष्ट हो जाता है। आपकी कल-कल ध्वनि सभी तापों को हरने वाली है। आप सभी प्रकार के पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ४:
शंकर-ऋण्ड-मंडिनि विश्व-ब्रह्मांडे-पूजिते
हरिपाद्य-तरंगिणि तरंग-अंग-भांगिते
सुषमा-शोभा-शोभिनि देव-मुनींद्र-वंदिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ४ ।।
आप शिव के मुकुट पर शोभित रहती हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में पूजनीय हैं। आपकी तरंगें विष्णु के चरणों से उत्पन्न होती हैं। आप देवताओं और ऋषि-मुनियों द्वारा वंदित हैं। आप पापों को हरने वाली हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ५:
हरिपाद्य-तरंगिणि तरंग-अंग-भांगिते
सुषमा-शोभा-शोभिनि देव-मुनींद्र-वंदिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ४ ।।
आप शिव के मुकुट पर शोभित रहती हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में पूजनीय हैं। आपकी तरंगें विष्णु के चरणों से उत्पन्न होती हैं। आप देवताओं और ऋषि-मुनियों द्वारा वंदित हैं। आप पापों को हरने वाली हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ५:
धगधगधगज्वल प्रज्जल-शिखा-मंडिते
पतितानलपावनि अवनि-धरा-विष्मिते
महाभैरवनादिनी सुनाद नादे शब्दिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ५ ।।
आपकी जलधारा अग्नि की प्रचंड ज्वालाओं की भाँति चमकती है। आप पापियों के लिए पावन हैं और पृथ्वी को विस्मित करती हैं। आपकी धारा भैरव नाद के समान गूंजती है। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ६:
पतितानलपावनि अवनि-धरा-विष्मिते
महाभैरवनादिनी सुनाद नादे शब्दिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ५ ।।
आपकी जलधारा अग्नि की प्रचंड ज्वालाओं की भाँति चमकती है। आप पापियों के लिए पावन हैं और पृथ्वी को विस्मित करती हैं। आपकी धारा भैरव नाद के समान गूंजती है। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ६:
हिमाचलसुनंदिनि हिमशिखरेसंस्थिते
गिरिमंडलगामिनि विष्णुपादब्जासंभूते
शिवसङ्गमदायिनि यमुनासंगमेंस्थिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ६ ।।
आप हिमालय की गोद में निवास करती हैं और शिव तथा यमुना के संगम में विराजमान रहती हैं। आप विष्णु के चरण-कमलों से प्रकट हुई हैं। आप पवित्रता का दान करती हैं और सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ७:
गिरिमंडलगामिनि विष्णुपादब्जासंभूते
शिवसङ्गमदायिनि यमुनासंगमेंस्थिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ६ ।।
आप हिमालय की गोद में निवास करती हैं और शिव तथा यमुना के संगम में विराजमान रहती हैं। आप विष्णु के चरण-कमलों से प्रकट हुई हैं। आप पवित्रता का दान करती हैं और सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ७:
सर्वकामार्थदायिनि सरस्वतीसमायुक्ते
त्रिलोकपथगामिनि सिद्धियोगनिसेविते
राममिलनदर्शिनि आत्मारामेसदास्थिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ७ ।।
आप सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं और सरस्वती के साथ त्रिलोक में प्रवाहित होती हैं। सिद्ध योगियों द्वारा सेवित आपकी धारा श्रीराम के दर्शन का सौभाग्य प्रदान करती है। आप सभी पापों को नष्ट करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ८:
त्रिलोकपथगामिनि सिद्धियोगनिसेविते
राममिलनदर्शिनि आत्मारामेसदास्थिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ७ ।।
आप सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं और सरस्वती के साथ त्रिलोक में प्रवाहित होती हैं। सिद्ध योगियों द्वारा सेवित आपकी धारा श्रीराम के दर्शन का सौभाग्य प्रदान करती है। आप सभी पापों को नष्ट करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ८:
ब्रह्मरन्ध्रनिवासिनि ब्रह्मरन्ध्रसमुद्भूते
उमासपत्नितरूणि मयूरारूढसंभूते
महावैष्णवीरूद्राणि रुद्रमंडलमंडिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ८ ।।
आप ब्रह्मरंध्र से प्रकट हुई हैं और महावैष्णवी रूप में प्रतिष्ठित हैं। आप शिव की अर्धांगिनी हैं और मयूर पर सवार होकर शोभित होती हैं। आप रुद्र मंडल से अलंकृत हैं। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ९:
उमासपत्नितरूणि मयूरारूढसंभूते
महावैष्णवीरूद्राणि रुद्रमंडलमंडिते
सर्व-कल्मश-नाशिनि हर-हर-गंगामाते ।। ८ ।।
आप ब्रह्मरंध्र से प्रकट हुई हैं और महावैष्णवी रूप में प्रतिष्ठित हैं। आप शिव की अर्धांगिनी हैं और मयूर पर सवार होकर शोभित होती हैं। आप रुद्र मंडल से अलंकृत हैं। आप सभी पापों का नाश करती हैं। हर-हर गंगा माते!
श्लोक ९:
कलाकलाधरधरा कलाधरअलंकृते
तापत्रयविनाशिनि विरिंचिकलसेस्थिते
वेदवदान्यामेदिनी भेदिनीधराझंकृते
परमेश्वरी जननि श्रीकृष्णदासस्यमाते ।। ० ।।
आप कला और कलाधर से सुसज्जित हैं। आप तीनों तापों को हरने वाली हैं। ब्रह्मा के कमंडल में निवास करने वाली, वेदों की ज्ञाता और पृथ्वी का कल्याण करने वाली हैं। आप परमेश्वरी माँ हैं और श्रीकृष्ण दास की माता हैं।
तापत्रयविनाशिनि विरिंचिकलसेस्थिते
वेदवदान्यामेदिनी भेदिनीधराझंकृते
परमेश्वरी जननि श्रीकृष्णदासस्यमाते ।। ० ।।
आप कला और कलाधर से सुसज्जित हैं। आप तीनों तापों को हरने वाली हैं। ब्रह्मा के कमंडल में निवास करने वाली, वेदों की ज्ञाता और पृथ्वी का कल्याण करने वाली हैं। आप परमेश्वरी माँ हैं और श्रीकृष्ण दास की माता हैं।
श्री गंगा स्तोत्रम् l Ganga Stotram l Madhvi Madhukar Jha
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Shlok 1:
Sudhrang-Ang-Bhangini Prasang-Sang-Shobhite,
Bhujang-Chhand-Chhandini Bhuvana-Shobha-Vardhite,
Anang-Bhang-Malini VishnuSebe-Sadarte,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 2:
Sunil-Sudhal-Jal-Neel-Anale-Bhashite,
Prachand-Taandav-Shiv-Sheerishadhara-Plavite,
Sanchit-Sansthit-Karm-Bhasm-Sarvasv-Kalpite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 3:
Anand-Kand-Kandare Sunand-Chhand-Chhandite,
Swachhand-Chhand-Chhandini Papinam-Garv-Khandite,
Kal-Kal-Kal-Naade Sakal-Taap-Bhanjite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 4:
Shankar-Rind-Mandini Vishva-Brahmande-Poojite,
Haripady-Tarangini Tarang-Ang-Bhangite,
Sushma-Shobha-Shobhini Dev-Munindra-Vandite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 5:
Dhag-Dhag-Dhag-Jwal Prajjal-Shikha-Mandite,
Patitaanala-Pavani Avani-Dhara-Vismite,
Mahabhairav-Naadini Sunad-Naade Shabdite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 6:
Himachal-Sunandini Him-Shikhare-Sansthite,
Giri-Mandal-Gamini Vishnu-Padbja-Sambhoote,
Shiv-Sangam-Dayini Yamuna-Sangam-Sansthite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 7:
Sarv-Kamarath-Dayini Saraswati-Samayukte,
Trilokpath-Gamini Siddh-Yogini-Sevite,
Ram-Milan-Darshini Aatma-Ramesa-Dasthite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 8:
Brahmarandhra-Nivasini Brahmarandhra-Samudbhute,
Uma-Patni-Taruni Mayura-Arudha-Sambhoote,
MahaVaishnavi-Rudrani Rudra-Mandala-Mandite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 9:
Kala-Kaladhar-Dhara Kaladhar-Alankrite,
Tap-Traya-Vinashini Virinchi-Kalas-Sthite,
Ved-Vadanya-Medini Bhedini-Dhara-Jhankrite,
Parameshwari Janani ShriKrishnaDasasya Maate!
॥ Iti ShriKrishnaDas Virachit Ganga Ashtakam Sampurnam ॥
Sudhrang-Ang-Bhangini Prasang-Sang-Shobhite,
Bhujang-Chhand-Chhandini Bhuvana-Shobha-Vardhite,
Anang-Bhang-Malini VishnuSebe-Sadarte,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 2:
Sunil-Sudhal-Jal-Neel-Anale-Bhashite,
Prachand-Taandav-Shiv-Sheerishadhara-Plavite,
Sanchit-Sansthit-Karm-Bhasm-Sarvasv-Kalpite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 3:
Anand-Kand-Kandare Sunand-Chhand-Chhandite,
Swachhand-Chhand-Chhandini Papinam-Garv-Khandite,
Kal-Kal-Kal-Naade Sakal-Taap-Bhanjite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 4:
Shankar-Rind-Mandini Vishva-Brahmande-Poojite,
Haripady-Tarangini Tarang-Ang-Bhangite,
Sushma-Shobha-Shobhini Dev-Munindra-Vandite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 5:
Dhag-Dhag-Dhag-Jwal Prajjal-Shikha-Mandite,
Patitaanala-Pavani Avani-Dhara-Vismite,
Mahabhairav-Naadini Sunad-Naade Shabdite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 6:
Himachal-Sunandini Him-Shikhare-Sansthite,
Giri-Mandal-Gamini Vishnu-Padbja-Sambhoote,
Shiv-Sangam-Dayini Yamuna-Sangam-Sansthite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 7:
Sarv-Kamarath-Dayini Saraswati-Samayukte,
Trilokpath-Gamini Siddh-Yogini-Sevite,
Ram-Milan-Darshini Aatma-Ramesa-Dasthite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 8:
Brahmarandhra-Nivasini Brahmarandhra-Samudbhute,
Uma-Patni-Taruni Mayura-Arudha-Sambhoote,
MahaVaishnavi-Rudrani Rudra-Mandala-Mandite,
Sarv-Kalmash-Nashini Har-Har Ganga Maate!
Shlok 9:
Kala-Kaladhar-Dhara Kaladhar-Alankrite,
Tap-Traya-Vinashini Virinchi-Kalas-Sthite,
Ved-Vadanya-Medini Bhedini-Dhara-Jhankrite,
Parameshwari Janani ShriKrishnaDasasya Maate!
॥ Iti ShriKrishnaDas Virachit Ganga Ashtakam Sampurnam ॥
Ganga Stotram Lyrics
Devi Sureshwari Bhagavati Gange tribhuvana taarini tarala tarange
Shankara mouli viharini vimale mama mathi raasthaam tava pada kamale (1)
Bhagirathi sukha-dhayini maataha tava jalamahima Nigame kyathaha
Naham jane tava mahimanam pahi krupamayi mamajnanam (2)
Hari pada padya tarangini Gange hima vidhu mukthaa dhavala taramgee
Dhureekuru mama dhushkruti bharam kuru krupaya bhava-sagara-paaram (3)
Tava jala mamalam Yena nipitham parama padam khalu tena gruhitham
Maatar Gange tvay yo bhakthaha kila tham dhrashtum na Yamah shakthaha (4)
Patithod dharini Jahnavi Gange khanditha girivara manditha bhangey
Bhisma-janani hey munivara kanye patita nivarini tribhuvana dhanye (5)
Kalpa lathaamiva phaladhaam lokey pranamati yasthvam na patati shoke
Para vaara viharini Gange vimukha yuvathi krutha taralaapange (6)
Tava chen-mataha srothaha snataha punarapi jatharey sopi na jataha
Naraka nivarini Jahnavi Gange kalusha vinasini mahimot thunge (7)
Punarasa dange punya tarange jaya jaya Jahnavi karunaapange
Indra mukuta mani raajitha charane sukhade shubhade bhrtya sharanye (8)
Roogam sokam thapam papam hara mey Bhagavati kumati kalapam
Tribhuvana-sare vasudha-haare tvamasi gatirmama kalu samsare (9)
Alakaanande paramaanande kuru karunamayi katara vandye
Tava tata nikate yasya nivasaha khalu vaikunthey tasya nivasaha (10)
Vara mihanirey kamatho minaha kim va teere sarataha kshinaha
Athavaa swapacho malino dinaha tava na hi dhure nrupati kuleenaha (11)
Bho Bhuvaneshwari punye dhanye devi dravamayi muni vara kanye
Gangastavam imam amalam nithyam pathathi naro yaha sa jayathi sathyam (12)
Yessaam hrudhaye Ganga bhaktis tesham bhavathi sada sukha muktihi
Madhura manohara pajjhatikabhih paramananda kara lalitaabhih (13)
Ganga stotramidam bhava saram vanchitha phaladam vimalam saaram
Shankara sevaka shankara rachitham pathathi sukhii stave iti ca smaaptaha (14)
Devi Sureshwari Bhagavati Gange tribhuvana taarini tarala tarange
Shankara mouli viharini vimale mama mathi raasthaam tava pada kamale (1)
Bhagirathi sukha-dhayini maataha tava jalamahima Nigame kyathaha
Naham jane tava mahimanam pahi krupamayi mamajnanam (2)
Hari pada padya tarangini Gange hima vidhu mukthaa dhavala taramgee
Dhureekuru mama dhushkruti bharam kuru krupaya bhava-sagara-paaram (3)
Tava jala mamalam Yena nipitham parama padam khalu tena gruhitham
Maatar Gange tvay yo bhakthaha kila tham dhrashtum na Yamah shakthaha (4)
Patithod dharini Jahnavi Gange khanditha girivara manditha bhangey
Bhisma-janani hey munivara kanye patita nivarini tribhuvana dhanye (5)
Kalpa lathaamiva phaladhaam lokey pranamati yasthvam na patati shoke
Para vaara viharini Gange vimukha yuvathi krutha taralaapange (6)
Tava chen-mataha srothaha snataha punarapi jatharey sopi na jataha
Naraka nivarini Jahnavi Gange kalusha vinasini mahimot thunge (7)
Punarasa dange punya tarange jaya jaya Jahnavi karunaapange
Indra mukuta mani raajitha charane sukhade shubhade bhrtya sharanye (8)
Roogam sokam thapam papam hara mey Bhagavati kumati kalapam
Tribhuvana-sare vasudha-haare tvamasi gatirmama kalu samsare (9)
Alakaanande paramaanande kuru karunamayi katara vandye
Tava tata nikate yasya nivasaha khalu vaikunthey tasya nivasaha (10)
Vara mihanirey kamatho minaha kim va teere sarataha kshinaha
Athavaa swapacho malino dinaha tava na hi dhure nrupati kuleenaha (11)
Bho Bhuvaneshwari punye dhanye devi dravamayi muni vara kanye
Gangastavam imam amalam nithyam pathathi naro yaha sa jayathi sathyam (12)
Yessaam hrudhaye Ganga bhaktis tesham bhavathi sada sukha muktihi
Madhura manohara pajjhatikabhih paramananda kara lalitaabhih (13)
Ganga stotramidam bhava saram vanchitha phaladam vimalam saaram
Shankara sevaka shankara rachitham pathathi sukhii stave iti ca smaaptaha (14)
Song Name: Sri Ganga Stotram
Lyrics: Adi Shankaracharya / Traditional/Sanskrit
Singer : Madhvi Madhukar Jha
Lyrics: Adi Shankaracharya / Traditional/Sanskrit
Singer : Madhvi Madhukar Jha
Author - Saroj Jangir
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