मां
केवल भावना की भूखी है। ना अन धन, ना आभूषण, उसे केवल सच्चे दिल से की गई
प्रार्थना चाहिए। यदि श्रद्धा और प्रेम से मां को भजते हैं, तो जीवन धन्य
हो जाता है। मां को भावपूर्ण विनती ही सबसे प्रिय है, और वही उसे लाचार कर
देती है। मां के लिए भौतिक वस्तुओं का कोई महत्व नहीं है। वह तो प्रेम और
समर्पण की जंजीर से बंधकर भक्तों के बीच अवतरित होती है। भावपूर्ण भक्ति ही
मां की सबसे बड़ी पूजा है, और उसी से भक्तों का बेड़ा पार होता है। जय जय
अम्बे।
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।