मां भक्तों की किस्मत के खोलती है ताले भजन Maa Bhakto Ki Kismat Ke Kholati Tale
मां भक्तों की किस्मत के खोलती है ताले,
मां भक्तों की किस्मत के खोलती है ताले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
रहता था कालका में बनवारी फूल वाला,
मां भगवती की हरदम जपता था जो के माला,
हो गर्मी चाहे सर्दी सुबह उठ के वो नहाता,
फिर नंगे पाव निसदिन चुन के वो फूल लाता,
मां कालका के मंदिर करके वो पुष्प अर्पण,
मस्ती में नाचता था करता था पूजा वंदन,
अंधेरे भी उसको लगते थे दिन के उजाले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
एक दिन चलती थी आंधी बादल भी बरस रहे थे,
बिजली भी कड़कती थी ओले भी गिर रहे थे,
उस दिन बुखार से भी बनवारी तप रहा था,
उस हाल में भी उसने उठ के नहा लिया था,
बारिश में लेके छाता वो बावरा चला था,
लाने हैं फूल ताजा नियम से न टला था,
उसे रोक ना पाए थे बादल वो काले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
फूल चुनते चुनते उसकी उड़ गई हवा में छतरी,
कपड़े थे सारे भीगे हालत थी उसकी बिगड़ी,
फूलों की टोकरी लेके मंदिर को चल पड़ा वो,
उखड़ी थी सांसे उसकी कई बार था गिरा वो,
गिर गिर के पहोंचा मंदिर पीड़ा में खो गया था,
चरणों में मां के गिर के बेहोश हो गया था,
अपने बच्चों को अंबे मां खुद ही संभाले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
रंगती थी कालका मां मंदिर के घंटे गूंजे,
चुनरी से मां ने उसके जख्मी थे पैर पोंछे,
दे छींटे मां ने जल के नया खेल था रचाया,
आंखें खुली जब भक्त की हुई ठीक उसकी काया,
बोली मां आंधी वर्षा मेरी थी सारी माया,
तू सच्चा भक्त मेरा मैंने ये आजमाया,
इच्छा हो जो तेरी वरदान मुझ से पाले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
चरणों में टेक माथा बनवारी मां से बोला,
दीदार तेरा करके, हुआ ये पाक चोला,
अब और तुझ से मैया मांगू तो ये ही मांगूं,
निर्दोष नाम तेरा मन से हमेशा सिमरूं,
भक्ति का दान दे दो इच्छा न माल ओ जर की,
बनके रहूंगा अब तो धूली मैं तेरे दर की,
तेरा नाम मेरे मन से कोई ना निकाले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
मां भक्तों की किस्मत के खोलती है ताले,
मां भक्तों की किस्मत के खोलती है ताले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले,
शेरों वाली निराली उसके भगत निराले।
बनवारी बोले जय हो,
पुजारी बोले जय हो,
दुखियारी बोले जय हो,
नर नारी बोले जय हो,
संसारी बोले जय हो,
ओ जय माता दी,
जय माता दी,
जय माता दी,
जय माता दी,
जय माता दी।
माँ भक्तों की क़िस्मत | Maa Bhakton Ki Qismat With Lyrics | Narendra Chanchal Navratri Bhajan
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माता दुर्गा, शक्ति और भक्ति की प्रतीक हैं। मां दुर्गा अपने भक्तों की किस्मत के ताले खोलती हैं, उन्हें जीवन की हर मुश्किल से पार पाने की शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। कहा जाता है कि माता दुर्गा की पूजा-अर्चना से भक्तों को उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि आती है। उनके आशीर्वाद से भक्तों को समस्याओं का सामना करने की शक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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