आई जन्म जयंती आई रे अग्रसेन का बेटा
आई जन्म जयंती आई रे अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे
आई जन्म जयंती आई रे अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे
आई जन्म जयंती आई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे,
आई जन्म जयंती आई रे।
गोयल मित्तल गर्ग और जिन्दल,
सबने ध्वजा बनाई,
अग्रसेन की अग्र पताका,
घर घर पे लहराई,
बिन्दल तिंगल मन हर्षाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
गोयनका बंसल और ऐरन,
जयकारा थे लगाओ,
एक ईंट और एक रुपए से,
जग कल्याण कराओ,
सिंघल भंदल सब मिल गाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
तायल कंसल धारण देखो,
अग्रोहा थे प्यारी,
अग्रसेन महाराज की निकले,
आज भी वहां सवारी,
मधुकुल रघुकुल से हम आई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
कुच्छल नांगल अग्रसेन को,
मन मंदिर में बसा लो,
मंगल मंगल होगा फिर,
तो कहना मेरा मानो,
राजू अठारह गोत्री भाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
आई जन्म जयंती आई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे,
आई जन्म जयंती आई रे।
गोयल मित्तल गर्ग और जिन्दल,
सबने ध्वजा बनाई,
अग्रसेन की अग्र पताका,
घर घर पे लहराई,
बिन्दल तिंगल मन हर्षाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
गोयनका बंसल और ऐरन,
जयकारा थे लगाओ,
एक ईंट और एक रुपए से,
जग कल्याण कराओ,
सिंघल भंदल सब मिल गाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
तायल कंसल धारण देखो,
अग्रोहा थे प्यारी,
अग्रसेन महाराज की निकले,
आज भी वहां सवारी,
मधुकुल रघुकुल से हम आई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
कुच्छल नांगल अग्रसेन को,
मन मंदिर में बसा लो,
मंगल मंगल होगा फिर,
तो कहना मेरा मानो,
राजू अठारह गोत्री भाई रे,
अग्रसेन का बेटा में खुशहाली छाई रे।
अग्रसेन जयंती भारत के महान नायक और समाज सुधारक महाराजा अग्रसेन की स्मृति में मनाई जाती है। वे केवल एक राजा ही नहीं, बल्कि समानता, भाईचारे और न्याय के प्रतीक भी थे। उन्होंने अपने राज्य में ऐसा आदर्श समाज स्थापित किया, जिसमें कोई भी व्यक्ति भूखा या असहाय नहीं रहता था। उनकी नीति थी कि हर नए परिवार को समाज के प्रत्येक घर से एक ईंट और एक रुपया दिया जाए, ताकि वह अपने जीवन की नई शुरुआत कर सके।
महाराजा अग्रसेन ने अहिंसा, करुणा और परोपकार के सिद्धांतों पर आधारित शासन किया। वे मानवता के सच्चे सेवक थे, जिन्होंने सभी जातियों और धर्मों को समान दृष्टि से देखा। अग्रवाल समाज उनकी शिक्षाओं और आदर्शों को आज भी अपने जीवन में अपनाता है। अग्रसेन जयंती हमें यह याद दिलाती है कि जब तक समाज में सहयोग और सहिष्णुता नहीं होगी, तब तक सच्ची प्रगति संभव नहीं है। इस पावन अवसर पर हमें महाराजा अग्रसेन की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए एक ऐसे समाज के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए, जहां सभी लोग समान अवसर और सम्मान पा सकें।
agrasen k bete अग्रसेन के बेटे Rajendra agrawal Dei
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Author - Saroj Jangir
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