खलक है रेण का सपना समझ मन कोई नहीं

खलक है रेण का सपना समझ मन कोई नहीं

सतगुरु मोय निवाजियो,
दीजो अमर बोल,
शीतल शब्द कबीर सा रा,
हंसा करे किलोल।

हंसा मत डरपो काल से,
करो मेरी प्रतीत,
अमर लोक पहुंचाय दू,
चलो जी भवजल जीत।।

भव जल में भव काग हैं,
केई केई हंस समान,
कहे कबीर सा धर्मीदास ने,
मोहे उतारे पार।।

खलक है रेण का सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना,
कठण हैं लोभ की धारा,
मुआ सब जाय संसारा।।

पत्ता एक डाल का टूटा,
घड़ा एक नीर का फूटा,
ऐसे नर जाय जिंदगानी,
सवेरा चेत अभिमानी,
खलक हैं रेण का सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना।।

भूलो मति देख तन गोरा,
जगत में जीवणा थोड़ा,
तजो मन लोभ चतुराई,
निसंग होय रेवो जग माही,
खलक हैं रेण का सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना।।

सज्जन, परिवार, सुत, दारा,
एक दिन होयेंगे न्यारा,
निकल जब प्राण जाएगा,
कोई नहीं काम आएगा,
खलक हैं रेण का सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना।।

सदा मत जानो आदैया,
लगा सतनाम से नैया,
कटे जम काल की फांसी,
कहे कबीर सा अविनाशी,
खलक हैं रेण का सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना।।

खलक है रेण रा सपना,
समझ मन कोई नहीं अपना,
कठण हैं लोभ की धारा,
मुआ सब जाय संसारा।।


रामी बाई भजन 2021 जगत हैं रेन का सपना Rami Bai Chetawani Bhajan || RRC Rajasthani Music Songs

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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