राजस्थानी कहावत: रांडां रोती रै नै पामणा जीमता रै
यह कहावत राजस्थानी संस्कृति से जुड़ी हुई है और इसका अर्थ है कि शक्तिशाली व्यक्ति परवाह नहीं करता, चाहे कोई कुछ भी बोले। शोर मचाने वाले और अपनी बात को ज़ोर-ज़ोर से करने वाले लोग हमेशा प्रतिक्रिया देते रहते हैं, लेकिन शक्तिशाली व्यक्ति अपने कार्य को चुपचाप और प्रभावी ढंग से करता है। यह कहावत हमें यह समझाने की कोशिश करती है कि अधिकतर मामलों में, जो लोग अपनी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं, वे बाहरी शोर-शराबे और आलोचनाओं से परे रहते हैं। रांडों से आशय औरतों से है जो कमजोर का प्रतीक है और पावना से आशय मेहमानों से है.

The proverb suggests that powerful individuals are unaffected by the noise and criticism of weaker individuals. While the powerless continue to complain and make noise, the powerful quietly proceed with their tasks and achieve their goals.
यह कहावत यह सिखाती है कि अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में ताकतवर व्यक्ति बाहरी बाधाओं और शोर-शराबे से प्रभावित नहीं होता। चाहे लोग कुछ भी कहें, वह अपना काम करता रहता है और समय के साथ अपने उद्देश्य को पूरा कर लेता है। कमज़ोर लोग अक्सर अपनी शक्ति की कमी को शोर मचाकर या आलोचना करके छुपाने की कोशिश करते हैं, जबकि सशक्त व्यक्ति बिना किसी हंगामे के अपने रास्ते पर चलता है। यह कहावत उस मानसिकता को दर्शाती है कि बाहरी शोर या आलोचना का कोई असर नहीं पड़ता जब आपके पास उद्देश्य और शक्ति हो।
This proverb teaches that a powerful person remains unaffected by external obstacles or noise. No matter what others say, they continue to work towards their goal and eventually achieve it. The weaker individuals often try to cover up their lack of power by making noise or criticizing, while the powerful move forward without any disturbance. It reflects the mentality that external noise or criticism doesn’t matter when you have a clear purpose and power.
शक्तिशाली व्यक्ति की प्रतिक्रिया / रांडा रोती रहसी और पावना जीमता रहसी / राजस्थानी कहावत का अर्थ / शक्ति और प्रभाव से सफलता
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