मुनिराज जी तपधारी पहाडों में भक्ति थे किनी
मुनिराज जी तपधारी पहाडों में भक्ति थे किनी
मुनिराज जी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
शमशेर गिरिजी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
अरे अमरकोट में जन्म आपरो,
सखियां मंगल गावें भारी,
राजा रामसिंह पिता आपरा,
माता रूपादे माँ थोरी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
अरे अमरकोट सूं आप पधारिया,
आया आबूगढ़ रे माय,
तपस्या किनी हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
सिद्ध तपस्वी संत कहाया,
कठोर तपस्या किनी भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
वास्थानजी में लिनी समाधि,
पौष मास सातम भारी,
वास्थानजी में मेला भरिजे,
दर्शन आवे नर-नारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
हर साल थोरो मेला भरिजे,
छठ, सातम, आठम भारी,
मुनिराज जी रो हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
बग गाँव में मेला भरिजे,
केर गाँव में मेला भरिजे,
जिला सिरोही हद भारी,
वास्थानजी में मेला भरिजे,
मुनिराज जी रो हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
भक्त हजारों आवें द्वार पर,
ले आशा मन में थोरी,
भक्त हजारों आवें द्वार पर,
ले मन में आशा भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
लाखों संत आवें आपरे,
धूणी रमावें हद भारी,
लाखों संत आवें आपरे,
धूणी रमावें हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
मुनिराज जी रा परचा पड़ रया,
ज्योत जागे है हद भारी,
मुनिराज जी रा परचा पड़ रया,
ज्योत जागे है हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
“मनीष सीरवी” रचना बनायी,
आयो शरणे मैं थोरी,
जुग-जुग शरणों में राखो बापजी,
आप बड़ा हो उपकारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
बग गाँव सूं बालक आपरे,
‘चौधरी प्रकाश’ गावें भारी,
मैं तो शरणे आपरी आयो,
नैया पार लगावो म्हारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
मुनिराज जी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
शमशेर गिरिजी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
शमशेर गिरिजी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
अरे अमरकोट में जन्म आपरो,
सखियां मंगल गावें भारी,
राजा रामसिंह पिता आपरा,
माता रूपादे माँ थोरी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
अरे अमरकोट सूं आप पधारिया,
आया आबूगढ़ रे माय,
तपस्या किनी हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
सिद्ध तपस्वी संत कहाया,
कठोर तपस्या किनी भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
वास्थानजी में लिनी समाधि,
पौष मास सातम भारी,
वास्थानजी में मेला भरिजे,
दर्शन आवे नर-नारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
हर साल थोरो मेला भरिजे,
छठ, सातम, आठम भारी,
मुनिराज जी रो हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
बग गाँव में मेला भरिजे,
केर गाँव में मेला भरिजे,
जिला सिरोही हद भारी,
वास्थानजी में मेला भरिजे,
मुनिराज जी रो हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
भक्त हजारों आवें द्वार पर,
ले आशा मन में थोरी,
भक्त हजारों आवें द्वार पर,
ले मन में आशा भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
लाखों संत आवें आपरे,
धूणी रमावें हद भारी,
लाखों संत आवें आपरे,
धूणी रमावें हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
मुनिराज जी रा परचा पड़ रया,
ज्योत जागे है हद भारी,
मुनिराज जी रा परचा पड़ रया,
ज्योत जागे है हद भारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
“मनीष सीरवी” रचना बनायी,
आयो शरणे मैं थोरी,
जुग-जुग शरणों में राखो बापजी,
आप बड़ा हो उपकारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
बग गाँव सूं बालक आपरे,
‘चौधरी प्रकाश’ गावें भारी,
मैं तो शरणे आपरी आयो,
नैया पार लगावो म्हारी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
मुनिराज जी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
शमशेर गिरिजी तपधारी,
पहाड़ों में भक्ति थे किनी,
मुनिराज जी तपधारी रे ए हा।।
मुनिजी महाराज भजन/muniji Maharaj Bhajan प्रकाश चौधरी बग सिरोही
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Author - Saroj Jangir
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