भजन : गाड़ी बँगले ये दौलत चले जायेंगे भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज स्वर:आलोक जी ।
यह भजन जीवन की नश्वरता और प्रेम के महत्व का चित्रण करता है। गाड़ी, बंगले, दौलत सब माटी में मिल जाते हैं, क्योंकि कोई भी मृत्यु के फंदे को लाँघ नहीं पाता। इतिहास गवाह है कि राजा बलि, रावण, कंस जैसे महान और क्रूर भी धूल में मिले, केवल उनकी कहानियाँ बचीं। माता-पिता, बंधु, सभी एक दिन चले जाते हैं। प्रभु भी धरा पर जन्म लेकर लौट जाते हैं। गर्व का कोई ठिकाना नहीं, पर प्रेम और अच्छे कर्म साधक को अमर बनाते हैं। यह जीवन का सत्य है कि सब माटी में मिलेगा, पर प्रेम और सत्कर्म साधक के साथ जग में सदा रहते हैं, उसे सच्चा धन प्रदान करते हैं।
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