रामसा ले ले परीक्षा जितनो जी करे भजन
रामसा ले ले परीक्षा जितनो जी करे भजन
रामसा, ले ले परीक्षा, जितनो जी करे,
थाने जब तक ना हो,
थाने जब तक ना हो,
पक्को विश्वास बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, हिवड़े के कण कण, माई तू बस्यो,
तू बस्यो, तू बस्यो,
हो म्हारो कालजियो दिखलावा,
थाने चीर बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, जितना भी दुखड़ा आवे, ना डरा,
ना डरा, ना डरा,
मैं तो लेता रहस्या,
हरदम थारो नाम बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, थारा हा थारा, बनके जीवस्या,
जीवस्या, जीवस्या,
थारा चरणा माही,
देस्या जीवन त्याग रामसा,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, गुण तो गाऊं मैं, थारे धाम का,
धाम का, धाम का,
थारो गोपालो है,
डाली बाई को दास बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(पुनरावृत्ति)
रामसा, ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
थाने जब तक ना हो,
थाने जब तक ना हो,
पक्को विश्वास बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, हिवड़े के कण कण, माई तू बस्यो,
तू बस्यो, तू बस्यो,
हो म्हारो कालजियो दिखलावा,
थाने चीर बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, जितना भी दुखड़ा आवे, ना डरा,
ना डरा, ना डरा,
मैं तो लेता रहस्या,
हरदम थारो नाम बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, थारा हा थारा, बनके जीवस्या,
जीवस्या, जीवस्या,
थारा चरणा माही,
देस्या जीवन त्याग रामसा,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(अंतरा)
रामसा, गुण तो गाऊं मैं, थारे धाम का,
धाम का, धाम का,
थारो गोपालो है,
डाली बाई को दास बापजी,
ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
(पुनरावृत्ति)
रामसा, ले ले परीक्षा, जितनो जी करे।।
रामसा लेले परिक्छा जितनो जी करे // ram Shah Lele Pareksha Jit no Ji Kare //Gopal (Soni) Baba Ramdev
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जीवन की हर कसौटी पर अटल विश्वास बनाए रखना ही सच्ची भक्ति है। ईश्वर हर कण में बस्ता है, हृदय की गहराइयों में उसकी उपस्थिति अनुभव होती है, जैसे कोई सदा साथ चलने वाला सखा हो। दुख आए, कठिनाई आए, फिर भी मन विचलित न हो—हर पल उसका नाम जपते हुए, उसकी शरण में रहने का संकल्प ही जीवन को सार्थक बनाता है। जो ईश्वर का हो गया, उसका जीवन उसी के चरणों में समर्पित हो जाता है, जैसे नदी सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देती है। उसकी महिमा गाना, उसके गुणों को हृदय में बसाना, यही भक्त का धाम है। हर चुनौती को स्वीकार कर, उसकी इच्छा में रम जाना ही सच्चा जीवन है।
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Author - Saroj Jangir
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