कलि का कलयुग भजन

कलि का कलयुग भजन

अधर्म हर एक युगों में एक नया रूप लेता है,
वो कौरव कभी रावण मन ही दानव बन आ जाता है,
कलयुगी अधर्म के आधुनिक देखो रंग कई,
प्राण प्रिय फोन ये तुमसे करा देगा कुकर्म कई।

एक द्वापर में जुए के कारण द्रौपदी निर्वस्त्र हुई,
द्यूत सभी अगले की क्षण महाभारत लहू की नदी बनी,
आज का ये काला युग बच्चों का जुआ खेल है,
पूंजी सब लगाते ये आधुनिक द्यूत ऐप्स में।

गुरुकुल बालक हैं विलुप्त भटके इंस्टाग्राम में,
भगवद गीता छूट गई अब व्यर्थ कृष्ण ज्ञान है,
माता पिता के कावड़ हेतु श्रवण कहां से आयेंगें,
मदिरा पान के कंपित हाथों से कैसे धर्म बचायेंगें।

भारतवर्ष रंग भेद में करता कभी न अंतर था,
विज्ञापन दर्शाते अब के रंग गोरा ही सुंदरता,
देखो अपने आदर्शों को क्या करते प्रमोट,
देके लालच धन का जुए का विष भरते रोज़।

सत्ययुग त्रेता द्वापर में हर हृदय में दया और धर्म था,
मर्यादा थी त्याग था वचन का निर्वहन सर्वस्व था,
ऋषि तपोवन लिप्त ध्यान में हरि भी दौड़े आते थे,
अब मांस मदिरा ताश को मानव अपना शौर्य बताते है।

मुंह को राम का नाम न भाता भाती गाली निंदा,
सत्य बिकता स्वार्थ के हेतु, आस्था का है धंधा,
सती सावित्री सीता मां की कौन ही गाथा गाती है,
अब व्यूज़ के लोभ में आज की नारी निर्वस्त्र हो जाती है।

हाथ बंधे हैं फोनों से ये कलयुग प्रिय यंत्र,
स्कैम से हरता धन को मानव आधुनिक षड्यंत्र,
वेब सीरीज़ को देखे बालक मन में बस अपराध भरे,
मात पिता को मारे काटे जो देखे वो कार्य करे।

कलयुग के हैं शस्त्र अब स्क्रीन सर्वर वेब,
तलवारों का युग गया एक क्लिक लेता प्राण,
शास्त्र वेद ग्रंथ भूले फॉलोवर्स हैं याद,
शकुनी के पासे इंटरनेट बन चुके आज।

राम सिया सा पावन प्रेम तो हृदय में रखा जाता है,
कलयुग का ये प्रेम स्टोरी स्टेटस तक रह जाता है,
दूर किसी से डेटिंग ऐप पे ऑनलाइन प्रेम जताते,
विवाह किया जिससे उससे न करते प्रेम की बातें।

ब्रह्मास्त्र का नया जन्म बनके आया ओटीपी,
कानों में ईयरफोन हैं कुंडल तिलक बचे नहीं,
जीवन नरक बनाने का सब्सक्रिप्शन ले रहा युवा,
कलयुग के अर्जुन ने फॉलोवर्स को पहले चुना।

कलि दिखेगा नित्य तुमको नाचता रोज़ रील्स पे,
जीवों की अब हत्या करते नेटवर्क 5जी से,
रावण के हैं 10 सिर देखो डार्क वेब स्क्रीन पे,
भगवान को चुनौती दे रहा मानव लाइव स्ट्रीम पे।

देखो अपने आसपास कलयुग से पलती धरती है,
नर रूपी कलयुग को ना अब नारायण से कोई भय है,
अभिमन्यु जो सोशल अधर्मी व्यू में फंसेगा,
दुरुपयोग में अभिमन्यु की मृत्यु का होना तय है।

ना बेटिंग ऐप्स पे गौर करो ना फ़ोन का दुरुपयोग करो,
धर्म को समझो सीखो सनातन भारत का शौर्य बनो,
आदर्शों को सही चुनो रंगभेद को त्याग चलो,
प्रभु राम की धरती पे बस प्रभु राम का मार्ग चुनो।

सच बोलना यज्ञ है, हर कार्य सेवा भक्ति है,
डिजिटल इस युग में एक प्रह्लाद तुम में जीवित है,
धर्म जीतता सदा कलयुग की भी शेष रामायण है,
कलयुग तुमसे दूर रहे अगर मुख पे नाम नारायण है।

अधर्म हर युग में नया रूप लेता है। पहले अधर्म कौरव और रावण जैसे पात्रों के रूप में सामने आया था। लेकिन आज के कलयुग में वह तकनीक, सोशल मीडिया और आदतों में छिपा है। जहां द्वापर युग में जुए ने महाभारत करवा दी थी। वहीं आज के युग में बच्चे ऑनलाइन जुए/ऐप्स में लिप्त हैं। गुरुकुल और शास्त्रों से दूर होकर युवा आज इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भटक रहे हैं।
श्रीकृष्ण का ज्ञान भुलाया जा चुका है और माता-पिता की सेवा करने वाले श्रवण जैसे पुत्र अब नहीं मिलते। लोग मदिरा पान में लिप्त हैं और धर्म की रक्षा करने में अक्षम हो गए हैं। आधुनिक समय में नैतिक पतन और अधर्म का प्रभाव बढ़ रहा है।


Kali Ka Kalyug | Goosebumps Guaranteed | Kali Vs Kalki | Vayuu | Hindi Rap

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Artist :- Vayu
Song :- Kali Ka Kalyug ( कलि का कलयुग )
Prod/Mix/Master :- Vayuu
Poster/Video :- अज्ञात
 
कलयुग का अधर्म नए-नए रूपों में सामने आता है, जो मन को भटकाता और आत्मा को कमजोर करता है। यह भजन हमें सावधान करता है कि आज का युग फोन, बेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के जाल में उलझा है, जो द्रौपदी के अपमान और महाभारत जैसे दुखों को आधुनिक रूप में दोहराता है। जहाँ पहले गुरुकुल में ज्ञान और भगवद गीता की गूंज थी, वहाँ आज इंस्टाग्राम और रील्स की चकाचौंध ने जगह ले ली है। माता-पिता की सेवा, श्रवण जैसा त्याग, और सत्ययुग की दया अब लुप्त-सी हो रही है।  

रंगभेद, लोभ, और झूठे आदर्शों का प्रचार आज समाज को गुमराह करता है। प्रेम, जो कभी राम-सीता का पवित्र बंधन था, अब स्टेटस और डेटिंग ऐप्स तक सिमट गया। स्क्रीन और इंटरनेट शकुनी के पासों की तरह बन गए हैं, जो एक क्लिक में जीवन को नरक बना देते हैं। पर यह भजन हमें राह भी दिखाता है—सच बोलना, सेवा करना, और राम का नाम जपना ही इस युग का यज्ञ है। प्रह्लाद की तरह, हर मन में सनातन धर्म की ज्योति जलती है। राम का मार्ग चुनकर, अधर्म के इस जाल को तोड़कर, हम कलयुग में भी नारायण की कृपा पा सकते हैं। जय श्री राम।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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