प्रभु राम के सारे असम्भव कार्य पल भर में कर डाले जो, और भक्ति ऐसी चीर के सीना सिया राम दिखलावे जो, सौ योजन कर पार सिया माता का पता लगावे जो, लंकेश से ऊंचा बना सिंहासन लंका भस्म कर आवे जो।
वो पवन पुत्र हनुमान और मां अंजनी के लाल, बाल्या अवस्था से ही चाल थी पिता के वेग सामान, पलक झपकते भू पे मारुति अगले वो पल ब्रह्माण्ड दिखे, आपन तेज सम्हारो आपे गति में गति से आगे चले।
एक सुबह जब खुले नेत्र तो मारुति भूख से व्याकुल, मां अंजनी भी व्यस्थ कही इस भूख का क्या हो निवारण, समय सूर्योदय सूर्य दिखा वो लाल रंग किरणों में कई, ब्रह्माण्ड के वृक्ष पे लटका सूर्य मारूती सोचे फल है कोई।
वायु वेग लगाके बजरंग चल पड़े हैं आकाश की ओर, निगल लिए वो फल सा सूर्य अंधकार बने तीनो लोक, देवता दौड़े मचा कोलाहल कैसे विपदा आई है, एक बालक ने सूरज को खाके अपनी भूख मिटाई है।
तू कौन है रे मायावी, सूर्यदेव को मुक्त करदे अन्यथा, तेरे कारण पूरी सृष्ठी में अंधकार छा गया है, और निश्चित ही तू कोई राहू के का सामान, मायावी राक्षस हैं, मैं तुझे अंतिम चेतावनी देता हूं।
इंद्रदेव आए क्रोधित होकर मारुति को सचेत किए, ऐ बालक रवि को मुक्त कर तेरे कारण लोको में त्राहि है, हट पे अड़ गए मारूती सूर्य उगलने को इंकार किया, देवताओं के राजा इंद्र का मारुति ने उपहास किया।
क्रोध की ज्वाला भड़की इंद्र में वज्र शस्त्र आह्वान किया, सूर्य छुड़ाने हेतु वज्र का मारुती हनु प्रहार किया, हनु टूट पड़ी बजरंग की उस घातक वज्र प्रहार से, सूर्य मुक्त हुआ किंतु मारुति मूर्छित भूमि पे आन गिरे।
पिता पवन तक खबर गई के पुत्र पे वज्र प्रहार हुआ, सोख ली सारी भू कि वायु वायुदेव का जब क्रोध बढ़ा, जीव जंतु हुए तहस नहस बिना स्वांस के हाहाकार मचा, मच गई त्राहि त्राहि जीवन अपने अंत की और बढ़ा।
विचलित हो गए देवता सारे भागे फिर ब्रह्मा की ओर, वायुदेव का क्रोध मिटाओ ब्रह्मा जी अब कुछ तो करो, वायुदेव को बुलवाया वो भीषण इंद्र पे क्रोध करे, कैसे देव हो इंद्र जो मेरे पुत्र पे तुम प्रहार करे।
बालक हैं बस क्रीड़ा में वो फल समझके रविभक्ष लिया, समझाने के स्थान पे आपने वज्र शस्त्र अघात किया, शमा करो हे वायुदेव तब इंद्र ने क्षमा याचना की, ग्यारहवें रुद्र उन मारुति को वरदान स्वरूप फिर शक्तियां दी।
ब्रह्मा जी ने अजर अमर हनुमान जी को वरदान दिया, इंद्रदेव ने वज्र कवच मारुती से नाम हनुमान दिया, वरुण देव ने कहा स्वांस तुम लोगे जल कोसो भीतर, अग्रि देव कहे अग्नि स्पर्श न करेगी कभी केसरी नंदन।
पराक्रमी सौ गुना बाहुबल बजरंग मूर्छा से खड़े हुए, देवताओं ने दिया वरदान वो मारुती से हनुमान बने, जीवन लौटा पृथ्वी पर जब धरा पे वापस पवन चली, जय हो मेरे केसरी नंदन जय जय जय बजरंगबली।
हनुमान जी परम बलशाली हैं। उन्होंने प्रभु श्रीराम के सभी असम्भव कार्यों को पल भर में कर दिखाया। हनुमान जी पवन देव के पुत्र और माता अंजनी के लाल हैं। बचपन से ही उनमें अद्भुत तेज और गति थी। उनकी चाल उनके पिता वायु के समान तीव्र थी। वे पलक झपकते पृथ्वी से आकाश में पहुंच जाते और अगले ही क्षण ब्रह्माण्ड की यात्रा कर लेते हैं। जय श्री राम।
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Song :- Maruti Hanuman Prod/Mix/Master :- Vayuu Poster/Video :- अज्ञात
हनुमान जी का जीवन शक्ति, भक्ति और समर्पण की अनुपम गाथा है। यह भजन उनकी बाल्यकाल की उस घटना को बयान करता है, जब उनकी नादानी और अपार शक्ति ने तीनों लोकों को हिला दिया। सूर्य को फल समझकर निगल लेने की उनकी बालसुलभ चंचलता और फिर इंद्र के वज्र प्रहार का सामना करना, उनके अद्भुत बल और साहस को दर्शाता है। माँ अंजनी का लाल, पवन का पुत्र, जो पलक झपकते ब्रह्मांड की सैर कर लेता है, वह सृष्टि के लिए वरदान है।
जब वायुदेव के क्रोध से धरती पर हाहाकार मचा, तब देवताओं ने हनुमान जी को अजर-अमर होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, इंद्र, वरुण और अग्नि के वरदानों ने उन्हें अजेय बना दिया। यह घटना सिखाती है कि सच्ची भक्ति और निश्छल मन से किया गया कार्य, चाहे नादानी में ही क्यों न हो, ईश्वर की कृपा को आकर्षित करता है। हनुमान जी का नाम लेने से ही मन में राम-भक्ति की ज्योति जल उठती है, जो हर संकट को पल में दूर कर देती है। जय हनुमान।
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