काम बनेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या

काम बनेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में

काम बनेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में,
कष्ट कटेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में।

जब संकट मंडरायेंगें राजाराम बचायेंगे,
काल टलेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में।

दीनों के हैं नाथ प्रभु सिर पे धरेंगे हाथ प्रभु,
साथ चलेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में।

दास है पगले तू उनका नाम ही काफ़ी है जिनका,
टेर सुनेंगे खाटू में राम मिलेंगे अयोध्या में।

भक्त मिलेंगे कीर्तन में रघुवर के संकीर्तन में,
प्रेम बढ़ेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में।

हर दुख दूर भगायेंगे गर मोहित हो जायेंगे,
पार लगेंगे अयोध्या में राम मिलेंगे अयोध्या में।

अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने से कृपा प्राप्त होती है। इससे संकट के समय राम रक्षा करेंगे और हर कष्ट को दूर करेंगे। प्रेम और कीर्तन में प्रभु का साथ मिलेगा और दुख दूर होंगे। भगवान राम का नाम ही हमारा सहारा है और उनकी कृपा से ही हमारा जीवन सफल होगा। अयोध्या जाकर राम जी के दर्शन निश्चित रूप से होंगे। जय श्री राम।


Kaam Banege Ayodhya Me Raam Milenge Ayodhya -Trending Ram Bhajan । राम मिलेंगे अयोध्या में । Ram Milenge Ayodhya Me । Mohit Sai Ji (Ayodhya)

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Album :- Ram Milenge Ayodhya Me
Singer :- Mohit Sai Ji (Ayodhya)
Lyricist :- Mohit Sai Ji (Ayodhya)
 
सुंदर भजन में अयोध्या की पावन धरती और श्रीरामजी के प्रति गहरे विश्वास का भाव उभरता है। यह ऐसा है, जैसे कोई अपने सबसे बड़े सहारे के पास जाकर हर मुश्किल का हल पाने की आस रखता हो। भक्त का मन इस यकीन से भरा है कि अयोध्या में श्रीरामजी के दर्शन से हर काम बन जाएगा, हर कष्ट कट जाएगा।

जब मुश्किलें घेर लें, तब श्रीरामजी का नाम और उनकी कृपा ही भक्त को उबारती है। यह भाव है कि वे दीनों के नाथ हैं, जो अपने हाथ से भक्त का मार्गदर्शन करते हैं, जैसे कोई अपने प्रिय की हर पुकार सुनता है। 
 
अयोध्या को अत्यंत ही पावन है क्योंकि यह भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है और सनातन धर्म में इसका विशेष आध्यात्मिक महत्व है। यह नगर सरयू नदी के किनारे स्थित है और इसे सप्तपुरियों में से एक माना गया है, जो मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।


वाल्मीकि रामायण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में अयोध्या को एक आदर्श नगर के रूप में वर्णित किया गया है, जहाँ सत्य, धर्म और न्याय का शासन था। इसे "साकेत" भी कहा जाता है और इसे देवताओं की नगरी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।

इतिहास के अनुसार, अयोध्या की स्थापना राजा मनु ने की थी और यह इक्ष्वाकु वंश की राजधानी रही है। महाभारत और पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहाँ इसे एक महान तीर्थ स्थल के रूप में दर्शाया गया है।

अयोध्या का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नगर रामराज्य की अवधारणा का प्रतीक है, जहाँ आदर्श शासन और लोककल्याण की भावना विद्यमान थी। यही कारण है कि अयोध्या को सनातन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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