रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर भजन Raghukul Prakate Hain Raghuveer

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर Raghukul Prakate Hain Raghuveer


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रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर
देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर
घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर
आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर
मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर
देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर
रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर
अर्थ: रघुकुल में वीर रामचंद्र प्रकट हुए हैं।

कवि तुलसीदास भगवान राम के जन्म की खुशी का बखान कर रहे हैं। वे कहते हैं कि रघुकुल में वीर रामचंद्र का जन्म हुआ है, जिससे सभी देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। घर-घर में मंगल के गीत गाए जा रहे हैं और लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। सभी लोग आनंद में डूबे हुए हैं और उनके शरीर में कोई थकान नहीं है।

देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर
अर्थ: देश-विदेश से रत्न, सोना, मोती और हीरे आदि आ रहे हैं।


घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर
अर्थ: घर-घर में मंगल हो रहा है और बधाई देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है।


आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर
अर्थ: सभी लोग आनंद में डूबे हुए हैं और उनके शरीर थकान से छूट गए हैं।


मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर
अर्थ: मगध के बंदी सबके गौ, गाय, घोड़े और चीर लुटवा रहे हैं।


देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर
अर्थ: सूरदास भगवान राम को चिरजीवी होने की आशीष देते हैं।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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