मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे भजन Man Lagyo Mero Yar Phakiri

मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे भजन Man Lagyo Mero Yar Phakiri Me

 
Man Lagyo Mero Yar Phakiri Me

मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे
जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे
भला बुरा सब का सुन लीजै
कर गुजरान गरीबी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे
आखिर यह तन छार मिलेगा
कहाँ फिरत मग़रूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे
प्रेम नगर में रहनी हमारी
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में
कहत कबीर सुनो भयी साधो
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में


संत कबीर के विविध विचार : कबीर के विचार वर्तमान समय में भी सार्थक हैं। जीवन और चरित्र निर्माण के सबंध में कबीर के विचार अनुकरणीय है। कबीर ने जो सहा वो कहा। कबीर के विचारों को व्यक्ति यदि अपने जीवन में उतार लें तो उसका जीवन सार्थक है।
 
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे
अर्थ: मेरे प्रिय मित्र, मुझे फ़कीरी (सादगी) में मन लगता है।


कबीर कहते हैं कि उन्हें फ़कीरी में मन लगता है। वे कहते हैं कि फ़कीरी में जो सुख मिलता है, वह अमीरी में नहीं मिल सकता। फ़कीरी में व्यक्ति तन-मन से मुक्त हो जाता है और भगवान के भजन में लीन रहता है।

जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में

अर्थ: जो सुख मैं राम भजन में पाता हूँ, वह सुख अमीरी में नहीं मिल सकता।
कबीर कहते हैं कि राम भजन में जो सुख मिलता है, वह अमीरी में नहीं मिल सकता। राम भजन से व्यक्ति का मन निर्मल होता है और उसे भगवान का साक्षात्कार होता है।

भला बुरा सब का सुन लीजै
कर गुजरान गरीबी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे

अर्थ: भला बुरा सब का सुन लेना और गरीबी में जीवन-यापन करना, यह भी फ़कीरी का हिस्सा है।

आखिर यह तन छार मिलेगा
कहाँ फिरत मग़रूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे

अर्थ: अंत में यह शरीर मिट्टी में मिल जाएगा, फिर घमंड करने का क्या फायदा?

प्रेम नगर में रहनी हमारी
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे

अर्थ: हमारा प्रेम नगर में रहना है, और वह सबूरी से ही मिलता है।

कहत कबीर सुनो भयी साधो
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी मे

अर्थ: कबीर कहते हैं, हे साधुओं, सुनो, सबूरी से भगवान मिलते हैं।

कबीर के इस भजन में उन्होंने फ़कीरी के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि फ़कीरी में ही सुख मिलता है, फ़कीरी में ही भगवान मिलते हैं। फ़कीर को भला बुरा सब का सुन लेना चाहिए और गरीबी में जीवन-यापन करना चाहिए। अंत में यह शरीर मिट्टी में मिल जाएगा, तो फिर घमंड करने का क्या फायदा? फ़कीर को प्रेम नगर में रहना है, और वह सबूरी से ही मिलता है।
 

 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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