इक तारा वजदा जी हर दम गोविन्द
इक तारा वजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द केहन्दा
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं पैंदा।
नारद जी इक तारा ले के सारी दुनिया तारी,
सात दीप नव खण्ड में गाई प्रभु की महिमा भारी ।
जो कोई हरी को नाम ना सुमिरे,
जो कोई राधा नाम ना सुंमिरे, विच्च नर्का दे पैंदा ॥
इक तारा वाजदा जी।
इक तारा नरसी दा वजेया, आ गए कृष्णा मुरारी,
द्वारिका दे विच्च अपने हत्थी आ के हुंडई तारी ।
कष्ट कटे जो सच्चे मन नाल नाम हरी दा लैंदा ॥
इक तारा वाजदा जी।
इक तारा ले मीरा बाई गिरिधर गिरिधर गाया,
जहर प्याले दे विच मीरा श्याम दा दर्शन पाया ।
‘हरी दासी’ ओह बाह फड़ लैंदा, जेहड़ा दुःख ओहदे लयी सेहंदा ॥
इक तारा वाजदा जी।
इक तारा फिर श्री हरिदास जी निधिवन विच्च बजाया,
युगल छवि चो बांके बिहारी अद्भुद रूप बनाया ।
सुख पावे जो सन्मुख बह के राधे राधे केहन्दा।
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं पैंदा।
Ik Tara Wajda Ji Album- De Do De Do Kishori Ji Barsana ## Best Bhakti Song
Album- De Do De Do Kishori Ji Barsana
Song- Ik Tara Wajda Ji
Singer: Tinu Singh,Happy Sharma
यह भजन भक्ति की उस एक तार की गूंज है, जो हर दम गोविंद का नाम जपती है, चाहे जग कितने ही ताने दे। नारद जी ने सातों दीपों में प्रभु की महिमा गाई, नरसी के तार ने कृष्ण को द्वारिका से बुला लिया, मीरा ने जहर के प्याले में श्याम का दर्शन पाया, और हरिदास जी ने निधिवन में राधा-कृष्ण की युगल छवि को साकार किया। यह तारा सच्ची भक्ति का प्रतीक है, जो मन को हर कष्ट से मुक्त कर देता है।
जो भक्त सच्चे मन से हरी का नाम लेता है, उसे नर्क की यातना नहीं भोगनी पड़ती। मीरा की तरह, जो दुख सहकर भी राधा-श्याम के रंग में रंग जाता है, उसे प्रभु अपनी बाहों में थाम लेते हैं। यह भजन सिखाता है कि दुनिया की परवाह छोड़, बस एक तार को छेड़ो—गोविंद का नाम, और मन राधे-राधे की धुन में डूबकर सुख पा लेता है।
जय श्री कृष्ण।
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Author - Saroj Jangir
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