मन बस गयो नन्द किशोर भजन
मन बस गयो नन्द किशोर,गायक : Govind Bhargav Ji
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
सौप दिया अब जीवन तोहे,
रखो जिस विधि रखना मोहे,
तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
श्रेणी : कृष्ण भजन Krishna Bhajan
मन बस गयो नन्द किशोर भजन
मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
सौप दिया अब जीवन तोहे,
रखो जिस विधि रखना मोहे,
तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
चाकर बन कर सेवा करुँगी,
मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,
तेरे दरश करुँगी उठ भोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
अरज़ मेरी मंजूर ये करना,
वृन्दावन से दूर न करना,
कहे मधुप हरी जी हां जोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
प्यारे बसा लो वृन्दावन में,
ओ मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
सौप दिया अब जीवन तोहे,
रखो जिस विधि रखना मोहे,
तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
चाकर बन कर सेवा करुँगी,
मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,
तेरे दरश करुँगी उठ भोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
अरज़ मेरी मंजूर ये करना,
वृन्दावन से दूर न करना,
कहे मधुप हरी जी हां जोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
प्यारे बसा लो वृन्दावन में,
ओ मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
मन बस गयो नन्द किशोर - Man Bas Gayo Nand Kishor - Govind Bhargav Ji Kumbh Mela
Man Bas Gayo Nand Kishor,
Ab Jaana Nahin Kahee Aur,
Basa Lo Vrndaavan Mein,
Basa Lo Vrndaavan Mein,
Song: Man Bas Gayo Nand Kishor
Title: Basa Lo Vrindavan Mein
Singer: Govind Bhargav
Music Director: Dinesh Kumar
Title: Basa Lo Vrindavan Mein
Singer: Govind Bhargav
Music Director: Dinesh Kumar
मन नंदकिशोर में रम गया, जैसे कोई दीया अपने प्रभु की ज्योति में खो जाए। अब दुनिया का कोई और ठिकाना नहीं—बस, वृंदावन में बसा दो। सारा जीवन कृष्ण को सौंप दिया, अब जैसा रखें, वैसा स्वीकार। उनके दर पर सब छोड़कर पड़ी हूँ, कोई और चाह बाकी नहीं।
चाकर बनकर सेवा करूँगी, मधुर भक्ति में डूबकर दिन बिताऊँगी। सुबह उनकी झलक पाने को मन तरसे—यही जीवन का मोल। मधुप की अरज बस इतनी—मुझे वृंदावन से कभी दूर न करना। कृष्ण का प्रेम, उनकी लीला ही सच्चा ठौर है, जहाँ मन सदा रमता है, जैसे नदी अपने सागर में समा जाए। बस, प्यारे, वृंदावन में बसा लो।
चाकर बनकर सेवा करूँगी, मधुर भक्ति में डूबकर दिन बिताऊँगी। सुबह उनकी झलक पाने को मन तरसे—यही जीवन का मोल। मधुप की अरज बस इतनी—मुझे वृंदावन से कभी दूर न करना। कृष्ण का प्रेम, उनकी लीला ही सच्चा ठौर है, जहाँ मन सदा रमता है, जैसे नदी अपने सागर में समा जाए। बस, प्यारे, वृंदावन में बसा लो।
Music Label: T-Series
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Author - Saroj Jangir
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