मन तड़पत हरि दरसन को आज लिरिक्स Man Tadpat Hai Hari Darshan
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ,
रखियो लाज, मन तड़पत...
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात,
तड़पत हरी दरसन...
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज,
तड़पत हरी...
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज
दे दो आज,
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ,
रखियो लाज, मन तड़पत...
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात,
तड़पत हरी दरसन...
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज,
तड़पत हरी...
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज
दे दो आज,
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Author - Saroj Jangir
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