सज धज के बैठी मंदिर में भक्तों को मैया हरसावे

सज धज के बैठी मंदिर में भक्तों को मैया हरसावे

 
सज धज के बैठी मंदिर में भक्तों को मैया हरसावे

(मुखड़ा)
सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे,
चलो नज़र उतारें, मैया की,
कहीं आज नज़र ना लग जाए।
सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।
(अंतरा 1)


मनभावन, प्यारी झाँकी है,
माँ की सूरत बाँकी-बाँकी है,
नैना सु नैना मिलते ही,
माँ, रोम-रोम में बस जावे।

सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।
(अंतरा 2)

मन मोहवे है मुस्कान, सखी,
माँ की सबसे ऊँची शान, सखी,
लाल चुनर के जादू से,
भक्तों का मनवा ललचाए।

सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।
(अंतरा 3)

माँ करती शेर सवारी है,
ये देवों को भी प्यारी है,
इनकी महिमा बड़ी भारी है,
चल, हम भी दर्शन कर आवे।

सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।
(अंतरा 4)

मन भरके दर्शन कर लेंगे,
हम शीश चरण में धर देंगे,
मैया, केवट मजधारों की,
चल, हम भी पार उतर जाए।

सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)

सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे,
चलो नज़र उतारें, मैया की,
कहीं आज नज़र ना लग जाए।
सज-धज के बैठी मंदिर में,
भक्तों को मैया हरसावे।।

मातारानी भजन | सज धज के बैठी मंदिर में | Matarani Bhajan | Saj Dhaj Ke Baithi Mandir | #BhaktiDhara

रामायण की महिमा सिय-राम के प्रेम और कीर्तन का अमृत है। ब्रह्मा, नारद, वाल्मीकि, शुक, सनक, शेष और सरस्वती—सब इसके गुण गाते हैं। हनुमान की भक्ति से लेकर संतों, शिव और पार्वती तक, सभी इसके रस में डूबे हैं। जैसे गंगा का जल पवित्र करता है, वैसे ही रामायण का पाठ मन को शुद्ध करता है।

वेद, पुराण, शास्त्र और ग्रंथों का सार इसमें समाया है। यह संतों के लिए तन-मन-धन का सर्वस्व है। कलियुग के पापों को हरने वाला, विषयों की फीकी रुचि को त्यागने वाला, और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाला यह ग्रंथ भव-रोगों की अमृतमयी औषधि है। तुलसीदास की यह रचना माता-पिता-सी कृपा बरसाती है। सच्चा भक्त वही, जो रामायण के पाठ में डूबकर सिय-राम के प्रेम को हृदय में बसाता है।

Song :- सज धज के बैठी मंदिर में
Album :- Odh Ke Chunariya Lal
Singer :- Ramavtaar Sharma
Label :- Brijwani Cassettes
Music :- Rattan Parsanna  

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