ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भजन
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं,
अभी दिल भरा ही नहीं।
बेमतलब की है सब दुनिया, हमे भरमायेगी,
तेरी रहमत हमको गुरुवर, खुद ही तिरायेगी,
यूँ हमसे दूर ना जाओ,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
एक झलक तेरी मेरे गुरुवर, बिगड़ी बनायेगी,
तेरी किरपा सब प्यासों की, प्यास बुझायेगी,
ज़रा हम पर नजर डालो,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
तुम जाओगे तो ये ऑंखें, नीर बहायेगी,
मेरे जीवन में गुरुवर, उदासी छायेगी,
रहम की अब नज़र डालो,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
तेरी किरपा ही हमको तो, तुमसे मिलायेगी,
तेरी सेवा मेरा जीवन, सफल बनायेगी,
ज़रा अमृत तो बरसाओ,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
तेरी करुणा ही भक्ति की, लगन लगायेगी,
तेरी दृष्टि मन मंदिर में, ज्योत जलायेगी,
तेरी मुस्कान से गुरुवर,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
पीड़ा विरह की हमको प्रभु, खूब सतायेगी,
बिना तेरे ह्रदय की कलियाँ, ये मुरझायेगी,
विनय स्वीकार तुम कर लो,
अभी दिल भरा ही नहीं,
ज़रा ठहरो गुरुदेवा अभी दिल भरा ही नहीं
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं।
ज़रा ठहरो गुरुदेवा, अभी दिल भरा ही नहीं,
करें दर्शन तुम्हारा हम, अभी दिल भरा ही नहीं.
JARA THEHRO GURU DEVA FULL BHAJAN BAPUJI NE NAYI VIMOCHAN CD PUNE SATSANG ME
गुरुदेव के दर्शन की प्यास ऐसी है कि मन बार-बार उनकी एक झलक माँगता है, क्योंकि उनके बिना दिल को सुकून नहीं। दुनिया की चमक-दमक फीकी है, पर गुरु की कृपा वह नौका है, जो जीवन को पार लगाती है। जैसे कोई दीया तूफान में भी जलता रहता है, वही गुरु की करुणा मन को आलोकित करती है।
संत का हृदय पुकारता है—गुरुदेव, थोड़ा ठहरो, तेरी मुस्कान से ही मन का अंधेरा मिटता है। चिंतक का मन सोचता है—गुरु की एक नजर बिगड़ी को बना देती है, उनकी सेवा ही जीवन को सार्थक करती है। धर्मगुरु की सीख है—गुरु के चरणों में विनय करो, क्योंकि उनकी दृष्टि मन-मंदिर में भक्ति की ज्योति जलाती है।
हे गुरुवर, तुम्हारे बिना हृदय की कली मुरझा जाएगी। तुम्हारी कृपा का अमृत बरसा, ताकि यह मन सदा तुममें रमा रहे। बस, मेरी यह अरज है—थोड़ा और ठहरो, क्योंकि तुम्हारे दर्शन से अभी दिल भरा ही नहीं।
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Author - Saroj Jangir
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