गोकुल में देखो वृंदावन में देखो मुरली भजन

गोकुल में देखो वृंदावन में देखो मुरली बाजे रे

गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो, मुरली बाजे रे
श्याम संग राधा नाँचे रे।

चन्द्र किरण सा श्याम सलोना, दोई आँखे कजरारी,
ठुमक ठुमक नाँचें गोपियन के संग, जग का पालन हारी
सार बिहारी संग राधा सुकुमारी, ब्रिज में बिराजे रे,
श्याम संग राधा नाँचे रे।

छम छम नाचे राधे रानी सुन कर मीठी मुरलिया
श्याम छवि पर सब बलिहारी ग्वाल बाल और गईया
सरल सरल चाले रे मधुरी पुरवइया रे, मेघा गरजे रे,
श्याम संग राधा नाँचे रे।

यमुना तट पर वंसी वट पर कहना रास रचाए
गोपी बन कर शंकर आए, गोपेशवर कहलाए
डम डम डमरुँ बाजे, कहना की मुरली पै, सब जग नाचे
श्याम संग राधा नाँचे रे।

रास रचो है, रास रचो है, यमुना के तट हरी रास रच्यो है
राधा नाचे कृष्णा नाचे नाचे गोपी जन
मन मेरो बन गयो री सखी पावन वृंदावन
रास रचो है, रास रचो है, यमुना के तट हरी रास रच्यो है,
श्याम संग राधा नाँचे रे
 

गोकुल में देखो वृन्दावन में देखो - पूज्या प्राचीदेवी जी - Prachi Devi Hanumat Kripa

Gokul Mein Dekho, Vrndaavan Mein Dekho, Muralee Baaje Re
Shyaam Sang Raadha Naache Re
 
वृंदावन और गोकुल में श्याम और राधा का रास प्रेम का वह उत्सव है, जो मन को हर लेता है। श्याम का चाँद-सा सलोना रूप, काजल भरी आँखें, और मुरली की मीठी तान गोपियों के साथ राधा को नचाती है, जैसे तारे रात के आलिंगन में झूमें। यह नृत्य जगत के पालनहार का प्रेम-प्रकाश है, जो बृज में बिराजता है।

यमुना के तट पर, वंशी वट के नीचे, श्याम रास रचाते हैं। उनकी मुरली सुन राधा छम-छम नाचती है, ग्वाल-बाल, गायें, सब उनकी छवि पर बलिहार। शंकर तक गोपी बनकर गोपेश्वर कहलाए, डमरू और मुरली का संगम सृष्टि को नचाता है। यह रास वृंदावन को पावन करता है, मन को प्रेम के रंग में रंग देता है। राधा-कृष्ण के इस रास में डूब जाओ, यही जीवन का सच्चा आनंद है।
 
Video Name - गोकुल में देखो वृन्दावन में देखो
Katha Vachak - पूज्या प्राचीदेवी जी
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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