
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
Swami sri Rajeshwaranand sarswati ji mahraj. स्वामी श्री राजेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराजवृंदावन की
पुकार हर भक्त के मन को बेकरार कर देती है, जहाँ राधे-राधे की धुन हर साँस में बस जाती है। यह भजन उस तड़प को बयान करता है, जो बांके बिहारी की न्यारी लीलाओं और उनके साथ नैन मिलाने की चाहत को जगाता है। वृंदावन की गलियों में बिहारी जी का रस हर कदम पर बरसता है, जो मन को प्रेम और भक्ति से सराबोर कर देता है।
वहाँ संतों और रसिक भक्तों का संग मिलता है, जिनके चरणों में शीश झुकाने से आत्मा तृप्त हो जाती है। यह भजन सिखाता है कि वृंदावन केवल एक स्थान नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के प्रेम का वो संसार है, जहाँ हर धड़कन राधे-राधे गाती है। बस एक बार वहाँ चले जाओ, और मन बिहारी जी के रंग में रंग जाएगा। जय श्री राधे कृष्ण।
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Author - Saroj Jangir
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