मैं आरती तेरी गाऊ ओ केशव कुञ्ज बिहारी

मैं आरती तेरी गाऊ ओ केशव कुञ्ज बिहारी

मैं आरती तेरी गाऊ ओ केशव कुञ्ज बिहारी 
मैं नित नित शीश नवाऊ ओ मोहन कृष्ण मुरारी
मैं आरती तेरी गाऊ ओ केशव कुञ्ज बिहारी
मैं नित नित शीश नवाऊ ओ मोहन कृष्ण मुरारी

है तेरी छवि अनोखी ऐसी ना दूजी देखी
तुझ सा ना सुन्दर कोई ओ मोर मुकुटधारी

जो आए शरण तिहारी विपदा मिट जाए सारी
हम सब पर कृपा रखना ,ओ जगत के पालनहारी

राधा संग प्रीत लगायी, और प्रीत की रीत चलायी
तुम राधा रानी के प्रेमी, जय राधे रास बिहारी

माखन की मटकी फोड़ी, गोपिन संग अंखिया जोड़ी
ओ नटखट रसिया तुझ पे जाऊं मैं तो बलिहारी

जब जब तू बंसी बजाए, सब अपनी सुध खो जाए
तू सब का सब तेरे प्रेमी, ओ कृष्णा प्रेम अवतारी


मैं आरती तेरी गाऊ ओ मोहन मदन मुरारी || परम पूज्य श्री परमानन्द जी महाराज || श्रीमद् भागवत कथा

Main Aaratee Teree Gaoo O Keshav Kunj Bihaaree
Main Nit Nit Sheesh Navaoo O Mohan Krshn Muraaree
Main Aaratee Teree Gaoo O Keshav Kunj Bihaaree
Main Nit Nit Sheesh Navaoo O Mohan Krshn Muraaree

कृष्ण की आरती गाते मन झूम उठता है, जैसे कोई मधुर राग हृदय में गूँजे। केशव, कुञ्ज बिहारी, मोहन—हर नाम प्रेम से भरा। उनकी छवि ऐसी निराली कि दूसरी कहीं न दिखे। मोर मुकुट सजा, सौंदर्य बिखेरते, वे मन को बाँध लेते हैं।

उनकी शरण में जो आता, सारे दुख छू मंतर हो जाते। जगत के पालक, सब पर कृपा बरसाते हैं, जैसे माँ अपने बच्चों को आँचल में छिपाए। राधा संग प्रीत रचाई, प्रेम की ऐसी रीत सिखाई कि दुनिया राधे-कृष्ण के रंग में रंग गई।

माखन चुराया, गोपियों संग ठिठोली की—नटखट कन्हैया का हर खेल मन को लुभाता है। जब बंसी बजती है, सारी सुध-बुध खो जाती है, जैसे सारा संसार उनके प्रेम में डूब जाए। कृष्ण प्रेम के अवतार हैं, हर दिल उनका दीवाना—उनकी आरती गाते-गाते मन बस उन्हीं में खो जाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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