सहेलियां साजन घर आया हो।
बहोत दिनां की जोवती बिरहिण पिव पाया हो॥
रतन करूं नेवछावरी ले आरति साजूं हो।
पिवका दिया सनेसड़ा ताहि बहोत निवाजूं हो॥
पांच सखी इकठी भ मिलि मंगल गावै हो।
पिया का रली बधावणा आणंद अंग न मावै हो।
हरि सागर सूं नेहरो नैणां बंध्या सनेह हो।
मरा सखी के आगणै दूधां बूठा मेह हो॥
krishana bhajan lyrics Hindi
यह मीरा बाई का पद उनके आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। इसमें वे अपने सखियों से कहती हैं कि उनके प्रियतम (साजन) घर आ गए हैं, जिससे उनका लंबा विरह समाप्त हो गया है। वे रत्नों की नेवछावर और आरती के माध्यम से अपने प्रिय का स्वागत करती हैं। संदेशवाहक के द्वारा मिले संदेश का वे आदर करती हैं। पांच सखियां मिलकर मंगल गीत गाती हैं, जिससे आनंद की अनुभूति होती है। उनकी आंखें हरि (ईश्वर) के सागर से प्रेम का संबंध जोड़ती हैं, और उनके आंगन में दूध की धाराओं जैसे मेघ बरसते हैं।
प्रिय के आगमन का यह उत्सव हृदय की उस गहरी तृप्ति का चित्र है, जो बरसों की विरह वेदना के बाद मिलन में खिल उठती है। जैसे कोई दीपक लंबे अंधेरे के बाद प्रज्वलित हो, वैसे ही सहेलियों का मंगल गान और आरती की थाल सजाना प्रभु के स्वागत का प्रतीक है। यह केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा का अपने प्रियतम से मिलन है, जो हर अंग में आनंद की लहर दौड़ा देता है।