होरी खेलत हैं गिरधारी संग जुबती ब्रजनारी

होरी खेलत हैं गिरधारी संग जुबती ब्रजनारी

मुरली चंग बजत डफ न्यारो।
संग जुबती ब्रजनारी॥
चंदन केसर छिड़कत मोहन
अपने हाथ बिहारी।
भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग
स्यामा प्राण पियारी।
गावत चार धमार राग तहं
दै दै कल करतारी॥
फाग जु खेलत रसिक सांवरो
बाढ्यौ रस ब्रज भारी।
मीराकूं प्रभु गिरधर मिलिया
मोहनलाल बिहारी॥

 
Holi Khelat Hain Girdhari | होली खेलत हैं गिरधारी | Divine Love Meera | दिव्य प्रेम मीरा

होली का यह उत्सव कन्हैया की लीलाओं का रंगमय चित्र है, जहाँ मुरली और चंग की धुन के साथ ब्रज की गोपियाँ प्रेम में डूब जाती हैं। मोहन के हाथों से छिड़कता चंदन और केसर केवल रंग नहीं, बल्कि उनके प्रेम का आलिंगन है, जो हर हृदय को भिगो देता है। गुलाल की मूठें और स्यामा के साथ उनका खेल प्रभु और भक्त के बीच उस आत्मीय बंधन को दर्शाता है, जो शब्दों से परे है।
 
Song : Holi Khelat Hain Girdhari | होली खेलत हैं गिरधारी
Film : Divine Love Meera | दिव्य प्रेम मीरा | PRODUCED & DIRECTED : RAJ.KAMAL
Editor: Raj.kamal
Singer : Pratibha Singh Baghel
Music Director : Rajnish Kamal
Lyrics : Meera Bai Ji
 
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