म्हारा ओलगिया घर आया जी

म्हारा ओलगिया घर आया जी

म्हारा ओलगिया घर आया जी।
तन की ताप मिटी सुख पाया हिल मिल मंगल गाया जी।।
घन की धुनि सुनि मोर मगन भया यूं मेरे आनंद छाया जी।
मग्न भ मिल प्रभु अपणा सूं भौका दरद मिटाया जी।।
चंद कूं निरखि कमोदणि फूलैं हरषि भया मेरे काया जी।
रग राग सीतल भ मेरी सजनी हरि मेरे महल सिधायाजी।।

सब भगतन का कारज कीन्हा सो प्रभु मैं पाया जी।
मीरा बिरहणि सीतल हो दुख दंद दूर नसाया जी।।१३।।
शब्दार्थ -ओलगिया परदेसी प्रियतम। घन की धुनि बादल की गरज।
भौ का दरद संसारी दुख। कमोदनि कुमुदिनी। सिधाया पधारा।
दंद द्वन्द्व झगडा। नसाया मेट दिया।

Mhara Olagiya Ghar Aayaji - Pt. Kumar Gandharva

Mhara Olagiya Ghar Aayaji - Pt. Kumar Gandharva · Pt. Kumar Gandharva, Vasundhara Komkali
 
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