नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया
नंद बाबाजी को छैया
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे.
बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
काहे की गेंद है काहे का बल्ला,
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला,
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला,
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला,
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
नीली यमुना है नीला गगन है,
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है,
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे.
बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
काहे की गेंद है काहे का बल्ला,
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला,
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला,
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला,
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
नीली यमुना है नीला गगन है,
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है,
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया,
कन्हैया कन्हैया रे,
Nand Baabaajee Ko Chhaiya
कन्हैया का स्वरूप वह बाल लीलाओं का आनंद है, जो नंद बाबा की छाया में पलता है। उनका नाम ही हृदय में उत्सव जगा देता है, जैसे गेंद का खेल बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। यह खेल साधारण नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जहाँ रेशम की गेंद, चंदन का बल्ला और मोतियों का छल्ला जीवन की सुंदरता और पवित्रता को दर्शाते हैं। कन्हैया के साथ ग्वाल-बालों का यह खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा का उत्सव है, जो हर पल को आनंदमय बनाता है।
नीली यमुना, नीला गगन और नीला कदंब का वृक्ष कन्हैया के नीले रंग में एकरूप हो जाते हैं। यह नीला रंग अनंतता और प्रेम की गहराई का प्रतीक है, जो उनके खेल में झलकता है। सुघड़ श्याम का यह खेल जीवन को सिखाता है कि सच्चा आनंद सादगी और भक्ति में छिपा है। जैसे मनसुखा और बृज के बालक कन्हैया के साथ खेल में मगन हो जाते हैं, वैसे ही हर भक्त उनके प्रेम में डूबकर जीवन को उत्सव बना लेता है।
नीली यमुना, नीला गगन और नीला कदंब का वृक्ष कन्हैया के नीले रंग में एकरूप हो जाते हैं। यह नीला रंग अनंतता और प्रेम की गहराई का प्रतीक है, जो उनके खेल में झलकता है। सुघड़ श्याम का यह खेल जीवन को सिखाता है कि सच्चा आनंद सादगी और भक्ति में छिपा है। जैसे मनसुखा और बृज के बालक कन्हैया के साथ खेल में मगन हो जाते हैं, वैसे ही हर भक्त उनके प्रेम में डूबकर जीवन को उत्सव बना लेता है।
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