नारायण जिनके हिरदय में सो कछु करम करे न करे रे, पारस मणि जिनके घर माहीं सो धन संचि धरे न धरे, सूरज को परकाश भयो जब दीपक जोत जले न जले रे, नाव मिली जिनको जल अंदर बाहु से नीर तरे न तरे रे, ब्रह्मानंद जाहि घट अंतर काशी में जाये मरे न मरे रे,
Narayan Jinke Hridaya Mein
अमृत वाणी / भजन सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: (७)
श्री राम राम-कृपा अवतरण परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम । जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।। सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप । है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।। परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम । तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।। साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार । वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।। मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् । देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।। राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव । देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।। मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम । जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।। यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग । पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।। यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान । है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।। ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान । हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।। आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर । है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।। बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार । नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।। खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव । जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।। राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान । स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।। दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार । ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।। देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप । हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६ ।।
नमस्कार सप्तक
करता हूं मैं वन्दना, नत शिर बारम्बार । तुझे देव परमात्मन्, मंगल शिव शुभकार ।। १ ।। अंजलि पर मस्तक किये, विनय भक्ति के साथ । नमस्कार मेरा तुझे, होवे जग के नाथ ।। २ ।। दोनों कर को जोड़ कर, मस्तक घुटने टेक । तुझ को हो प्रणाम मम, शत शत कोटि अनेक ।। ३ ।। पाप-हरण मंगल-करण, चरण शरण का ध्यान । धार करूँ प्रणाम मैं, तुझ को शक्ति-निधान ।। ४ ।। भक्ति-भाव शुभ-भावना, मन में भर भरपूर । श्रद्धा से तुझ को नमूँ, मेरे राम हजूर ।। ५ ।। ज्योतिर्मय जगदीश हे, तेजोमय अपार । परम पुरुष पावन परम, तुझ को हो नमस्कार ।। ६ ।। सत्यज्ञान आनन्द के, परम धाम श्री राम । पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ।। ७ ।।
प्रात: पाठ
परमात्मा श्री राम परम सत्य, प्रकाश रूप, परम ज्ञानानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान्, एकैवाद्वितीय परमेश्वर, परम पुरुष, दयालु देवाधिदेव है, उसको बार-बार नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार ।।
अमृत वाणी
रामामृत पद पावन वाणी, राम नाम धुन सुधा समानी । पावन पाठ राम गुण ग्राम, राम राम जप राम ही राम ।।१ ।। परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान् । परमानन्द, सर्वशक्तिमान्, राम परम है राम महान् ।।२ ।। अमृत वाणी नाम उच्चारण, राम राम सुखसिद्धि-कारण । अमृत-वाणी अमृत श्री नाम, राम राम मुद मंगल-धाम ।।३ ।। अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान । अमृत-वचन राम की चर्चा, सुधा सम गीत राम की अर्चा ।।४ ।। अमृत मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप ।
अमृत चिन्तन राम का ध्यान, राम शब्द में शुचि समाधान ।।५ ।। अमृत रसना वही कहावे, राम राम जहाँ नाम सुहावे । अमृत कर्म नाम कमाई, राम राम परम सुखदाई ।।६ ।। अमृत राम नाम जो ही ध्यावे, अमृत पद सो ही जन पावे । राम नाम अमृत-रस सार, देता परम आनन्द अपार ।।७ ।।
राम राम जप हे मना, अमृत वाणी मान । राम नाम में राम को, सदा विराजित जान ।।८ ।।
राम नाम मुद मंगलकारी, विध्न हरे सब पातक हारी । राम नाम शुभ शकुन महान्, स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ।।९ ।। राम राम श्री राम विचार, मानिए उत्तम मंगलाचार । राम राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना ।।१० ।। राम नाम जो जन मन लावे, उस में शुभ सभी बस जावे । जहां हो राम नाम धुन-नाद, भागें वहां से विषम विषाद ।।११ ।। राम नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सींच शांति ले आवे । राम राम जपिए कर भाव, सुविधा सुविधि बने बनाव ।।१२ ।।
राम नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल । विषम-विकट संकट हरण, कारक सब अनुकूल ।।१३ ।।
जपना राम राम है सुकृत, राम नाम है नाशक दुष्कृत । सिमरे राम राम ही जो जन, उसका हो शुचितर तन मन ।।१४ ।। जिसमें राम नाम शुभ जागे, उस के पाप ताप सब भागे । मन से राम नाम जो उच्चारे, उस के भागें भ्रम भय सारे ।।१५ ।। जिस में बस जाय राम सुनाम, होवे वह जन पूर्णकाम । चित्त में राम राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तरे ।।१६ ।। राम सिमरन होवे सहाई, राम सिमरन है सुखदाई । राम सिमरन सब से ऊंचा, राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा ।।१७ ।।
राम राम ही सिमर मन, राम राम श्री राम । राम राम श्री राम भज, राम राम हरि-नाम ।।१८ ।।
मात-पिता बान्धव सुत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा । अन्त काल दे सके न सहारा, राम नाम तेरा तारन हारा ।।१९ ।। सिमरन राम नाम है संगी, सखा स्नेही सुहृद् शुभ अंगी । युग युग का है राम सहेला, राम भक्त नहीं रहे अकेला ।।२० ।। निर्जन वन विपद् हो घोर, निबड़ निशा तम सब ओर । जोत जब राम नाम की जगे, संकट सर्व सहज से भगे ।।२१ ।। बाधा बड़ी विषम जब आवे, वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे । राम नाम जपिए सुख दाता, सच्चा साथी जो हितकर त्राता ।।२२ । मन जब धैय्र्य को नहीं पावे, कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे । राम नाम जपे चिन्ता चूरक, चिन्तामणि चित्त चिन्तन पूरक ।।२३ ।। शोक सागर हो उमड़ा आता, अति दुःख में मन घबराता । भजिए राम राम बहु बार, जन का करता बेड़ा पार ।।२४ ।। कड़ी घड़ी कठिनतर काल, कष्ट कठोर हो क्लेश कराल । राम राम जपिए प्रतिपाल, सुख दाता प्रभु दीनदयाल ।।२५ ।। घटना घोर घटे जिस बेर, दुर्जन दुखड़े लेवें घेर । जपिए राम नाम बिन देर, रखिए राम राम शुभ टेर ।।२६ ।। राम नाम हो सदा सहायक, राम नाम सर्व सुखदायक । राम राम प्रभु राम का टेक, शरण शान्ति आश्रय है एक ।।२७ ।। पूंजी राम नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये । नाशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका ।।२८ ।।
krishana bhajan lyrics Hindi
राम राम श्री राम है, तीन लोक का नाथ । परम पुरुष पावन प्रभु, सदा का संगी साथ ।।२९ ।।
यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, बन कुटी वास अति वैराग । राम नाम बिना नीरस फोक, राम राम जप तरिए लोक ।।३० ।। राम जाप सब संयम साधन, राम जाप है कर्म आराधन । राम जाप है परम अभ्यास, सिमरो राम नाम 'सुख-रास' ।।३१ ।। राम जाप कही ऊँची करणी, बाधा विध्न बहु दुःख हरणी । राम राम महा-मन्त्र जपना, है सुव्रत नेम तप तपना ।।३२ ।। राम जाप है सरल समाधि, हरे सब आधि व्याधि उपाधि । ऋद्धि सिद्धि और नव निधान, दाता राम है सब सुख खान ।।३३ । राम राम चिन्तन सुविचार, राम राम जप निश्चय धार । राम राम श्री राम ध्याना, है परम पद अमृत पाना ।।३४ ।।
राम राम श्री राम हरि, सहज परम है योग । राम राम श्री राम जप, दाता अमृत भोग ।।३५ ।।
नाम चिन्तामणि रत्न अमोल, राम नाम महिमा अनमोल । अतुल प्रभाव अति प्रताप, राम नाम कहा तारक जाप ।।३६ ।। बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष, राम राम जप शुभ सन्तोष । राम राम श्री राम राम मंत्र, तन्त्र बीज परात् पर यन्त्र ।।३७ ।। बीजाक्षर पद पद्म प्रकाशे, राम राम जप दोष विनाशे । कुँडलिनी बोधे शुष्मणा खोले, राम मंत्र अमृत रस घोले ।।३८ ।। उपजे नाद सहज बहु भांत, अजपा जाप भीतर हो शान्त । राम राम पद शक्ति जगावे, राम राम धुन जभी रमावे ।।३९ ।। राम नाम जब जगे अभंग, चेतन भाव जगे सुख-संग । ग्रन्थी अविद्या टूटे भारी, राम लीला की खिले फुलवारी ।।४० ।।
पतित पावन परम पाठ, राम राम जप याग । सफल सिद्धि कर साधना, राम नाम अनुराग ।।४१ ।।
तीन लोक का समझिए सार, राम नाम सब ही सुखकार । राम नाम की बहुत बड़ाई, वेद पुराण मुनि जन गाई ।।४२ ।। यति सती साधु-संत सयाने, राम नाम निश दिन बखाने । तापस योगी सिद्ध ऋषिवर, जपते राम राम सब सुखकर ।।४३ ।। भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते राम नाम रमणीक । भजते भक्त भाव भरपूर, भ्रम भय भेद-भाव से दूर ।।४४ ।। पूर्ण पंडित पुरुष प्रधान, पावन परम पाठ ही मान । करते राम राम जप ध्यान, सुनते राम अनाहद तान ।।४५ ।। इस में सुरति सुर रमाते, राम राम स्वर साध समाते । देव देवीगण दैव विधाता, राम राम भजते गणत्राता ।।४६ ।। राम राम सुगुणी जन गाते, स्वर संगीत से राम रिझाते । कीर्तन कथा करते विद्वान, सार सरस संग साधनवान् ।।४७ ।।
मोहक मंत्र अति मधुर, राम राम जप ध्यान । होता तीनों लोक में, राम नाम गुण गान ।।४८ ।।
मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल, मिथ्या है मोह कुमद बैताल । मिथ्या मन मुखिया मनोराज, सच्चा है राम नाम जप काज ।।४९ ।। मिथ्या है वाद विवाद विरोध, मिथ्या है वैर निंदा हठ क्रोध । मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख खान, राम नाम जप सत्य निधान ।।५० ।। सत्य मूलक है रचना सारी, सर्व सत्य प्रभु राम पसारी । बीज से तरु मकड़ी से तार, हुआ त्यों राम से जग विस्तार ।।५१ ।।
विश्व वृक्ष का राम है मूल, उस को तू प्राणी कभी न भूल । साँस साँस से सिमर सुजान, राम राम प्रभु राम महान् ।।५२ ।। लय उत्पत्ति पालना रूप, शक्ति चेतना आनंद स्वरूप । आदि अन्त और मध्य है राम, अशरण शरण है राम विश्राम ।।५३ ।।
राम नाम जप भाव से, मेरे अपने आप । परम पुरुष पालक प्रभु, हर्ता पाप त्रिताप ।।५४ ।।
राम नाम बिना वृथा विहार, धन धान्य सुख भोग पसार । वृथा है सब सम्पद् सम्मान, होवे तन यथा रहित प्राण ।।५५ ।। नाम बिना सब नीरस स्वाद, ज्यों हो स्वर बिना राग विषाद । नाम बिना नहीं सजे सिंगार, राम नाम है सब रस सार ।।५६ ।। जगत् का जीवन जानो राम, जग की ज्योति जाज्वल्यमान । राम नाम बिना मोहिनी माया, जीवन-हीन यथा तन छाया ।।५७ ।। सूना समझिए सब संसार, जहां नहीं राम नाम संचार । सूना जानिए ज्ञान विवेक, जिस में राम नाम नहीं एक ।।५८ ।। सूने ग्रंथ पन्थ मत पोथे, बने जो राम नाम बिन थोथे । राम नाम बिन वाद विचार, भारी भ्रम का करे प्रचार ।।५९ ।।
राम नाम दीपक बिना, जन-मन में अन्धेर । रहे, इस से हे मम मन, नाम सुमाला फेर ।।६० ।।
राम राम भज कर श्री राम, करिए नित्य ही उत्तम काम । जितने कर्तव्य कर्म कलाप, करिए राम राम कर जाप ।।६१ ।। करिए गमनागम के काल, राम जाप जो करता निहाल । सोते जगते सब दिन याम, जपिए राम राम अभिराम ।।६२ ।। जपते राम नाम महा माला, लगता नरक द्वार पै ताला । जपते राम राम जप पाठ, जलते कर्मबन्ध यथा काठ ।।६३ ।। तान जब राम नाम की टूटे, भांडा भरा अभाग्य भय फूटे । मनका है राम नाम का ऐसा, चिन्ता-मणि पारस-मणि जैसा ।।६४ ।। राम नाम सुधा-रस सागर, राम नाम ज्ञान गुण-आगर । राम नाम श्री राम महाराज, भव-सिन्धु में है अतुल जहाज ।।६५ ।। राम नाम सब तीर्थ स्थान, राम राम जप परम स्नान । धो कर पाप-ताप सब धूल, कर दे भय-भ्रम को उन्मूल ।।६६ ।। राम जाप रवि-तेज समान, महा मोह-तम हरे अज्ञान । राम जाप दे आनन्द महान्, मिले उसे जिसे दे भगवान् ।।६७ ।।
राम नाम को सिमरिये, राम राम एक तार । परम पाठ पावन परम, पतित अधम दे तार ।।६८ ।।
माँगूं मैं राम-कृपा दिन रात, राम-कृपा हरे सब उत्पात । राम-कृपा लेवे अन्त सम्हाल, राम प्रभु है जन प्रतिपाल ।।६९ ।। राम-कृपा है उच्चतर योग, राम-कृपा है शुभ संयोग । राम-कृपा सब साधन-मर्म, राम-कृपा संयम सत्य धर्म ।।७० ।। राम नाम को मन में बसाना, सुपथ राम-कृपा का है पाना । मन में राम-धुन जब फिरे, राम-कृपा तब ही अवतरे ।।७१ ।। रहूँ, मैं नाम में हो कर लीन, जैसे जल में हो मीन अदीन । राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ, परम प्रभु को भीतर लाऊँ ।।७२ ।। भक्ति-भाव से भक्त सुजान, भजते राम-कृपा का निधान । राम-कृपा उस जन में आवे, जिस में आप ही राम बसावे ।।७३ ।। कृपा-प्रसाद है राम की देनी, काल-व्याल जंजाल हर लेनी । कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद, राम नाम दे रहित विवाद ।।७४ ।। प्रभु-प्रसाद शिव शान्ति दाता, ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता । प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी, राम राम जपे अमृत वाणी ।।७५ ।। औषध राम नाम की खाइये, मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये । राम नाम अमृत रस-पान, देता अमल अचल निर्वाण ।।७६ ।।
राम राम धुन गूँज से, भव भय जाते भाग । राम नाम धुन ध्यान से, सब शुभ जाते जाग ।।७७ ।।
माँगूं मैं राम नाम महादान, करता निर्धन का कल्याण । देव द्वार पर जन्म का भूखा, भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा ।।७८ ।। 'पर हूँ तेरा' -यह लिये टेर, चरण पड़े की रखियो मेर । अपना आप विरद विचार, दीजिए भगवन् ! नाम प्यार ।।७९ ।। राम नाम ने वे भी तारे, जो थे अधर्मी अधम हत्यारे । कपटी कुटिल कुकर्मी अनेक, तर गये राम नाम ले एक ।।८० ।। तर गये धृति धारणा हीन, धर्म-कर्म में जन अति दीन । राम राम श्री राम जप जाप, हुए अतुल विमल अपाप ।।८१ ।। राम नाम मन मुख में बोले, राम नाम भीतर पट खोले । राम नाम से कमल विकास, होवें सब साधन सुख-रास ।।८२ ।। राम नाम घट भीतर बसे, साँस साँस नस नस से रसे । सपने में भी न बिसरे नाम, राम राम श्री राम राम राम ।।८३ ।।
राम नाम के मेल से, सध जाते सब काम । देव-देव देवे यदा, दान महा सुख धाम ।।८४ ।।
अहो ! मैं राम नाम धन पाया, कान में राम नाम जब आया । मुख से राम नाम जब गाया, मन से राम नाम जब ध्याया ।।८५ ।। पा कर राम नाम धन-राशी, घोर अविद्या विपद् विनाशी । बढ़ा जब राम प्रेम का पूर, संकट संशय हो गये दूर ।।८६ ।। राम नाम जो जपे एक बेर, उस के भीतर कोष कुबेर । दीन दुखिया दरिद्र कंगाल, राम राम जप होवे निहाल ।।८७ ।। हृदय राम नाम से भरिए, संचय राम नाम धन करिए । घट में नाम मूर्ति धरिए, पूजा अन्तर्मुख हो करिए ।।८८ ।। आँखें मूँद के सुनिए सितार, राम राम सुमधुर झंकार । उस में मन का मेल मिलाओ, राम राम सुर में ही समाओ ।।८९ ।। जपूँ मैं राम राम प्रभु राम, ध्याऊँ मैं राम राम हरे राम । सिमरूँ मैं राम राम प्रभु राम, गाऊँ मैं राम राम श्री राम ।।९० ।। अमृत वाणी का नित्य गाना, राम राम मन बीच रमाना । देता संकट विपद् निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार ।।९१ ।।
राम नाम जप पाठ से, हो अमृत संचार । राम-धाम में प्रीति हो, सुगुण-गण का विस्तार ।।९२ ।।
तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार । इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार ।।९३ ।।
-- इति --
धुन १. बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम । २. श्री राम, श्री राम, श्री राम राम राम । ३. जय जय राम, जय जय राम, जय जय राम राम राम । ४. जय राम जय राम, जय जय राम, राम राम राम राम, जय जय राम । ५. पतित पावन नाम, भज ले राम राम राम । भज ले राम राम राम, भज ले राम राम राम ।। ६. अशरण शरण शान्ति के धाम, मुझे भरोसा तेरा राम । मुझे भरोसा तेरा राम, मुझे भरोसा तेरा राम ।। ७. रामाय नमः श्री रामाय नमः, रामाय नमः श्री रामाय नमः । ८. अहं भजामि रामं, सत्यं शिवं मंगलम् । सत्यं शिवं मंगलं, सत्यं शिवं मगलम् ।।
वृद्धि-आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार । अभ्युदय सद्धर्म का, राम नाम विस्तार ।। (२)
Author - Saroj Jangir
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