तुम मेरी राखो लाज हरि लिरिक्स Tum Meri Raakho Laaj Hari Jagjit Singh Bhajan
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम जानत सब अन्तर्यामी
करनी कछु ना करी
तुम मेरी राखो लाज हरि
अवगुन मोसे बिसरत नाहिं
पलछिन घरी घरी
सब प्रपंच की पोट बाँधि कै
अपने सीस धरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
दारा सुत धन मोह लिये हौं
सुध बुध सब बिसरी
सूर पतित को बेगि उबारो
अब मोरि नाव भरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम जानत सब अन्तर्यामी
करनी कछु ना करी
तुम मेरी राखो लाज हरि
अवगुन मोसे बिसरत नाहिं
पलछिन घरी घरी
सब प्रपंच की पोट बाँधि कै
अपने सीस धरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
दारा सुत धन मोह लिये हौं
सुध बुध सब बिसरी
सूर पतित को बेगि उबारो
अब मोरि नाव भरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
Tum Meri Rakho Laaj Hari - Live Concert | Jagjit Singh Bhajans
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Tum Jaanat Sab Antaryaamee
Karanee Kachhu Na Karee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Avagun Mose Bisarat Naahin
Palachhin Gharee Gharee
Sab Prapanch Kee Pot Baandhi Kai
Apane Sees Dharee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Daara Sut Dhan Moh Liye Haun
Sudh-budh Sab Bisaree
Soor Patit Ko Begi Ubaaro
Ab Mori Naav Bharee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Tum Jaanat Sab Antaryaamee
Karanee Kachhu Na Karee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Avagun Mose Bisarat Naahin
Palachhin Gharee Gharee
Sab Prapanch Kee Pot Baandhi Kai
Apane Sees Dharee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
Daara Sut Dhan Moh Liye Haun
Sudh-budh Sab Bisaree
Soor Patit Ko Begi Ubaaro
Ab Mori Naav Bharee
Tum Meree Raakho Laaj Hari
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
अधिष्ठान मेरा मन होवे।
जिसमे राम नाम छवि सोहे ।
आँख मूंदते दर्शन होवे
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
सांस सांस गुरु मन्त्र उचारूं।
रोमरोम से राम पुकारूं ।
आँखिन से बस तुम्हे निहारूं।
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
औषधि रामनाम की खाऊं।
जनम मरन के दुख बिसराऊं ।
हंस हंस कर तेरे घर जाऊं।
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
बीते कल का शोक करूं ना।
आज किसी से मोह करूं ना ।
आने वाले कल की चिन्ता।
नहीं सताये हम को स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
राम राम भजकर श्री राम।
करें सभी जन उत्तम काम ।
सबके तन हो साधन धाम।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
आँखे मूंद के सुनूँ सितार।
राम राम सुमधुर झनकार ।
मन में हो अमृत संचार।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
अधिष्ठान मेरा मन होवे।
जिसमे राम नाम छवि सोहे ।
आँख मूंदते दर्शन होवे
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
सांस सांस गुरु मन्त्र उचारूं।
रोमरोम से राम पुकारूं ।
आँखिन से बस तुम्हे निहारूं।
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
औषधि रामनाम की खाऊं।
जनम मरन के दुख बिसराऊं ।
हंस हंस कर तेरे घर जाऊं।
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
बीते कल का शोक करूं ना।
आज किसी से मोह करूं ना ।
आने वाले कल की चिन्ता।
नहीं सताये हम को स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
राम राम भजकर श्री राम।
करें सभी जन उत्तम काम ।
सबके तन हो साधन धाम।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
आँखे मूंद के सुनूँ सितार।
राम राम सुमधुर झनकार ।
मन में हो अमृत संचार।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा
गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा
जनम सफ़ल हो जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया
राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे
जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा
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गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा
जनम सफ़ल हो जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया
राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे
जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा
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Author - Saroj Jangir
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