मेवाड़ी राणा भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी लिरिक्स Mewadi Rana Bhajana Su Laage Meera Meethi Lyrics

मेवाड़ी राणा भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी लिरिक्स Mewadi Rana Bhajana Su Laage Meera Meethi Lyrics

मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी।
उदयपुर राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी॥
थारो तो राम म्हानै बतावो,
नहीं तो फकीरी थारी झूठी॥
म्हारो तो राम राणाजी घटघट बोलै,
थारै हिये की कियाँ फूटी॥
सास नणद दोराणी, जिठाणी,
जलबल भई अंगीठी॥
थे तो साँवरिया म्हारै सिर का सेवरा,
म्हें थारै हाथकी अंगूठी॥
सँकडी गली मँ म्हानै गिरधर मिलियो,
किस बिध फिरुँ मैं अपूठी
बाई मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
चढ़ गयो रंग मजीठी॥


मेवाड़ी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।श्री चीमा बाबा की मधुर वाणी

Mevaadee Raana, Bhajanaan San Laagai Meera Meethee.
Udayapur Raana, Bhajanaan San Laagai Meera Meethee.
Thaaro To Raam Mhaanai Bataavo,
Nahin To Phakeeree Thaaree Jhoothee.
Mhaaro To Raam Raanaajee Ghataghat Bolai,

Thaarai Hiye Kee Kiyaan Phootee.
Saas Nanad Doraanee, Jithaanee,
Jalabal Bhee Angeethee.
The To Saanvariya Mhaarai Sir Ka Sevara,
Mhen Thaarai Haathakee Angoothee.
Sankadee Galee Man Mhaanai Giradhar Miliyo,
Kis Bidh Phirun Main Apoothee
Baee Meera Ke Prabhu Giradhar Naagar,
Chadh Gayo Rang Majeethee.

समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय।
बिन धोयाँ दुख ना मिटै रै, बीरा मेरा तिरणा किस बिध होय॥टेर॥
देवी सुमराँ शारदा रै, बीरा मेरा हिरदै उजाला होय।
गुरुवाँ री गम गैला मिल्या रे, बीरा मेरा आदु अस्तल जोय॥1॥
दाता चिणाई बावड़ी रै, ज्यामें नीर गगजल होय।
कई कई हरिजन न्हा चल्या रै, कई गया है जमारो खोय॥2॥
रोईड़ी रंग फूटरो रै, जाराँ फूल अजब रंग होय।
ऊबो मिखमी भोम मे रै, जांकी कलियन विणजै कोई॥3॥
चंदन रो रंग सांवलो रै, जाँका मरम न जाने कोय।
काट्या कंचन निपजै रै, ज्यामे महक सुगन्धी होय॥4॥
तन का बनाले कापडा रै, सुरता की साबुन होय।
सुरत शीला पर देया फटकाया रै, सतगुरु देसी धोय॥5॥
लिखमा भिखमी भौम में रै, ज्याँरो गाँव गया गम होय।
तीजी चौकी लांधजा रै, चौथी में निर्भय होय॥6॥

दिल अपणै में सोचले समझ , दुख पावै जान।
मेरी नाथ बिना, रघुनाथ बिना॥टेर॥
आई जवानी भया दीवाना, बल तोले हस्ती जितना।
यम का दूत पकड़ ले जासी, जोर न चाले तिल जितना॥1॥
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीला, झूठी माया घर अपना।
कई बार पुत्र पिता घर जनमें, कई बार पुत्र पिता अपना॥2॥
कुण संग आया, कुण संग जासी, सब जुग जासी साथ बिना।
हंसला बटाऊ तेरा यहीं रह जासी, खोड़ पड़ी रवे सांस बिना॥3॥
लखै सरीसा, लख घर छोड्या, हीरा मोती और रतना।
अपनी करणी, पार उतरणी, भजन बणायो है कसाई सजना॥4॥

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