महाशिवरात्रि पूजा के दौरान गायें शिव जी की आरती जय शिव ओंकारा

शिव आरती Shiv Aarti

 
शिव आरती लिरिक्स हिंदी Shiv Aarti Lyrics Hindi
 
महाशिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव की पूजा के बाद आरती का गायन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान शिव को हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता माना गया है। उनका नाम "शिव" संस्कृत शब्द से आया है, जिसका अर्थ है 'शुद्ध' और 'संहारक'। शिव त्रिमूर्ति के संहारक रूप में प्रसिद्ध हैं और उन्हें योगियों के देवता के रूप में पूजा जाता है।

भगवान शिव के कई नाम हैं, जैसे – महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोलेनाथ, शंभू और शंकर। वे ब्रह्मांडीय नर्तक हैं और नटराज के रूप में उनका रूप पूजा जाता है। शिव कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी योगी के रूप में रहते हैं और उनकी उपासना से भक्तों को ज्ञान, सुख और शांति प्राप्त होती है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए और उनकी आरती का गायन करना चाहिए। भगवान शिव की आरती, जैसे "ॐ जय शिव ओंकारा" या "शिव शंकर की आरती", भगवान शिव की महिमा और शक्तियों का बखान करती है और इस आरती को श्रद्धा के साथ पढ़ने से भक्तों को शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
जय शिव ओंकाराजय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय…

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय…
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय…
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय…
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय…
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय…
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय…
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय…
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय…
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय


Om Jai Shiv Omkara Lord Shiva Aarti ANURADHA PAUDWAL I Aarti I Full Audio Song I Art Track

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Jai Shiv Omkara, Om jai Shiv Omkara,
Brahma Vishnu Sadashiv Arddhagni Dhara.
Om Jai Shiv Omkara



एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Ekanan Chaturanan Panchanan Rajai,
Hansanan Garudasan Vrishvahan Sajai.
Om Jai Shiv Omkara


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Do Bhuj Char Chaturbhuj Das Bhuj Ati Sohe,
Trigun Roop Nirakhta Tribhuvan Jan Mohe.
Om Jai Shiv Omkara

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Akshaymala Vanmala Mundmala Dhari,
Chadan Mrigmad Sohai Bhale Shashi Dhari.
Om Jai Shiv Omkara

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Shvetambar Pitambar Baghambar Ange,
Sankadik Garunadik Bhootadik Sange.
Om Jai Shiv Omkara

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Kar ke Mashya Kamandalu Chakra Trishooldhari,
Sukhkari Dukhhari Jag Palankari.
Om Jai Shiv Omkara

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

Brahma Vishnu Sadashiv Jaanat Aviveka,
Pranvaakshar me Shobhit Yah Tinon Eka.
Om Jai Shiv Omkara

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
Trigun Swami ji Ki Aarti Jo Koi Nar Gave,
Kahat Shivanand Swami Manvanchhit Phal Pave.
Om Jai Shiv Omkara
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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